धनबाद। धनबाद को भविष्य के लिए तैयार करने की दिशा में गुरुवार को सिंफर ऑडिटोरियम में एक अहम हितधारक परामर्श बैठक का आयोजन किया गया। यह बैठक झारखंड सरकार के टास्क फोर्स-सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन, धनबाद जिला प्रशासन और सीईईडी (सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुई। इस बैठक का उद्देश्य धनबाद जिले के लिए एक व्यापक, समावेशी और सतत आर्थिक विविधीकरण योजना तैयार करना था।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए उपायुक्त माधवी मिश्रा ने कहा कि ‘फ्यूचर रेडी धनबाद’ के निर्माण में जनप्रतिनिधियों, छोटे एवं मध्यम उद्योगों सहित सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तनकाल सहज नहीं है, लेकिन व्यावहारिक सुझावों और सामूहिक प्रयासों से इसे सफल बनाया जा सकता है।
उपायुक्त ने जोर दिया कि जो भी योजना बने वह आर्थिक रूप से व्यवहारिक हो और आम जनमानस की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बनाई जाए। उन्होंने धनबाद की ऊर्जा आधारित अर्थव्यवस्था की अहमियत को रेखांकित करते हुए कहा कि जिले को पर्यावरण, सामाजिक कल्याण और आर्थिक विकास के बीच संतुलन साधते हुए आगे बढ़ाना होगा।
विधायक निरसा अरुप चटर्जी ने कहा कि जस्ट ट्रांजिशन की सफलता के लिए विशाल निवेश और गंभीर योजना निर्माण जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि कृषि, मत्स्य और जंगल पर आश्रित लोगों को केंद्र में रखकर रणनीति बनानी होगी।

सिंफर के निदेशक अरविंद कुमार मिश्रा ने सुझाव दिया कि जीडीपी, उद्योग और आम जनता के जीवनस्तर पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े, इस बात का ध्यान रखते हुए विकल्प तलाशने होंगे।
टास्क फोर्स के अध्यक्ष ए.के. रस्तोगी ने कहा कि भविष्य के धनबाद के लिए ग्रीन टेक्नोलॉजी को अपनाना होगा। उन्होंने फॉसिल फ्यूल का विकल्प खोजने की दिशा में धैर्य के साथ कार्य करने की बात कही।सीईईडी के अश्विनी अशोक ने एक प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि किस प्रकार धनबाद को एक हरित और सतत शहर में बदला जा सकता है।
वन प्रमंडल पदाधिकारी विकास पालीवाल ने पर्यावरणीय बदलावों को ध्यान में रखते हुए नीतिगत हस्तक्षेप का सुझाव दिया, वहीं नगर आयुक्त रवि राज शर्मा ने वायु प्रदूषण नियंत्रण, रीसाइकलिंग, और रियूज की नीति अपनाने की आवश्यकता बताई।
कार्यक्रम के समापन अवसर पर राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ के प्रतिनिधियों सहित अन्य अतिथियों ने बांस की खेती को बढ़ावा, कार्बन डाइऑक्साइड न्यूट्रल तकनीक, वृहद पैमाने पर पौधारोपण कर हरा-भरा करने, सौर ऊर्जा का उपयोग करने पर जोर दिया।