HomeJharkhand Newsझारखंड में 24 साल के इतिहास में हर मुख्यमंत्री को करना पड़ा...

झारखंड में 24 साल के इतिहास में हर मुख्यमंत्री को करना पड़ा हार का सामना : इस बार किसकी होगी जीत किसकी होगी हार : किसकी बनेगी सरकार

झारखंड विधानसभा चुनाव की मतगणना 23 नवंबर को होगी। पहला चरण 13 नवंबर को संपन्न हुआ, जबकि दूसरे चरण की वोटिंग 20 नवंबर को हुई। चुनावी माहौल इतना अनिश्चित है कि इस बार किसकी सरकार बनेगी, इसका अनुमान लगाना मुश्किल है। लेकिन झारखंड के 24 साल के इतिहास में यह तथ्य दिलचस्प है कि अब तक हर मुख्यमंत्री को चुनावी मैदान में हार का सामना करना पड़ा है। चाहे वो शिबू सोरेन हों या रघुवर दास, चुनाव में हार हर मुख्यमंत्री के हिस्से में आई है। अब देखना यह होगा कि क्या यह परंपरा इस बार भी कायम रहती है, या इतिहास बदलता है।

मुख्यमंत्रियों की हार का इतिहास:

झारखंड के 24 साल के राजनीतिक इतिहास में अब तक 7 नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ चुके हैं। हर बार चुनाव में मुख्यमंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा है।

2019 चुनाव: रघुवर दास की हार

2019 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास जमशेदपुर पूर्वी सीट से चुनाव लड़े। लेकिन वे बीजेपी के बागी नेता सरयू राय से 15 हजार से अधिक वोटों से हार गए।

2014 चुनाव: चार मुख्यमंत्रियों की हार

2014 का चुनाव झारखंड की राजनीति के लिए और भी चौंकाने वाला साबित हुआ।

अर्जुन मुंडा: खरसावां से अर्जुन मुंडा को दशरथ गागराई ने 11 हजार से अधिक वोटों से हराया।

हेमंत सोरेन: उस समय के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दो सीटों—बरहेट और दुमका से चुनाव लड़ा। बरहेट में उन्होंने जीत हासिल की, लेकिन दुमका में उन्हें बीजेपी की लुईस मरांडी ने हरा दिया।

बाबूलाल मरांडी: भाकपा माले के राजकुमार यादव ने बाबूलाल मरांडी को 10 हजार से अधिक वोटों से पराजित किया।

मधु कोड़ा: झामुमो के निरेल पुर्ती ने मधु कोड़ा को 11 हजार से अधिक वोटों से हराया।

2009 उपचुनाव: शिबू सोरेन की हार

2009 में शिबू सोरेन को तमाड़ उपचुनाव में राजा पीटर ने 8 हजार से अधिक वोटों से हराया। यह हार उनके लिए इतनी बड़ी थी कि उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा।

शिबू सोरेन और मधु कोड़ा: सत्ता और अस्थिरता का दौर

मधु कोड़ा ने 18 सितंबर 2006 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन 2008 में उनकी सरकार गिर गई। इसके बाद शिबू सोरेन ने सरकार बनाई। 2009 में उन्हें उपचुनाव में किसी भी सीट से जीत हासिल करनी थी, लेकिन तमाड़ विधानसभा उपचुनाव में राजा पीटर ने उन्हें 9 हजार से अधिक मतों से हरा दिया। इस हार के बाद शिबू सोरेन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा, और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा।

इस बार के चुनाव पर नजरें

इस बार का चुनाव झारखंड की राजनीति के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है। क्या यह इतिहास फिर से दोहराएगा और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी हार का सामना करना पड़ेगा, या इस बार यह परंपरा टूट जाएगी? 23 नवंबर को आने वाले परिणाम इस सवाल का जवाब देंगे।

झारखंड के चुनावी इतिहास के इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि राज्य की राजनीति में सत्ता और अस्थिरता हमेशा साथ-साथ चलती रही है।

गौरतलब हैं कि झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 का दूसरा चरण 20 नवंबर को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया। इस चरण में 38 सीटों पर मतदान हुआ, जिसमें कुल 528 उम्मीदवारों की किस्मत इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में कैद हो गई। अब सभी की नजरें 23 नवंबर पर टिकी हैं, जब मतगणना के बाद यह तय होगा कि किसके सिर पर जीत का सेहरा सजेगा।

528 उम्मीदवारों की किस्मत EVM में कैद

दूसरे चरण में कुल 528 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें 472 पुरुष, 55 महिलाएं और एक थर्ड जेंडर उम्मीदवार शामिल हैं। इनमें राष्ट्रीय दलों के 73 उम्मीदवार (60 पुरुष, 13 महिलाएं), राज्य स्तरीय दलों के 28 उम्मीदवार (23 पुरुष, 5 महिलाएं) और 257 निर्दलीय प्रत्याशी शामिल थे। इससे पहले, पहले चरण में 43 सीटों पर 683 उम्मीदवारों की किस्मत भी EVM में बंद हो चुकी है।

प्रमुख चेहरे और दांव पर साख

इस चरण में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, पूर्व डिप्टी सीएम सुदेश महतो और विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो जैसे प्रमुख नेताओं की राजनीतिक साख दांव पर है। इसके अलावा चार कैबिनेट मंत्री—इरफान अंसारी, हफीजुल हसन, दीपिका पांडेय सिंह और बेबी देवी—भी इस चरण में चुनावी मैदान में थे।

वहीं, दूसरे चरण में 11 पूर्व मंत्री भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें स्टीफन मरांडी, हेमलाल मुर्मू, बसंत सोरेन, बादल पत्रलेख, रंधीर सिंह, सुरेश पासवान, प्रदीप यादव, जेपी पटेल, मथुरा महतो और जलेश्वर महतो शामिल हैं। इन सभी के भाग्य का फैसला मतगणना के दिन होगा।

प्रमुख सीटें और क्षेत्र

दूसरे चरण के तहत झारखंड के राजमहल, बोरियो, बरहेट, लिट्टीपाड़ा, पाकुड़, महेशपुर, शिकारीपाड़ा, नाला, जामताड़ा, दुमका, जामा, जरमुंडी, मधुपुर, सारठ, देवघर, पोड़ैयाहाट, गोड्डा, महागामा, रामगढ़, मांडू, धनवार, बगोदर, जमुआ, गांडेय, गिरिडीह, डुमरी, गोमिया, बेरमो, बोकारो, चंदनकियारी, सिंदरी, निरसा, धनबाद, झरिया, टुंडी, बाघमारा, सिल्ली और खिजरी में चुनाव संपन्न हुआ।

चुनाव प्रक्रिया और शांतिपूर्ण मतदान

दूसरे चरण में मतदान का कार्य बिना किसी बड़ी हिंसात्मक घटना के सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। चुनाव आयोग ने शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने के लिए व्यापक इंतजाम किए थे। अब सभी उम्मीदवार और पार्टियां मतगणना के दिन का इंतजार कर रहे हैं। 23 नवंबर को यह स्पष्ट हो जाएगा कि झारखंड की जनता ने किसे अपना प्रतिनिधि चुना है।

KK Sagar
KK Sagar
उत्कृष्ट, निष्पक्ष, पारदर्शिता और ईमानदारी - पत्रकारिता की पहचान है k k sagar....✍️....

Most Popular