13 नवंबर को झारखंड विधानसभा चुनाव के तहत 43 सीटों पर मतदान का सिलसिला सुबह 7 बजे से शुरू होगा। इन सीटों पर चुनावी मुकाबला बहुत ही कड़ा है और हर सीट पर प्रत्याशियों के बीच जोरदार संघर्ष देखने को मिलेगा। सोमवार की शाम तक चुनाव प्रचार का शोर थम गया, और अब प्रत्याशी केवल डोर-टू-डोर जनसंपर्क अभियान चला सकेंगे, जिससे वोटर्स से सीधे संपर्क स्थापित किया जा सके।
पिछले चुनावों में कड़ा मुकाबला: 5000 वोटों से हार-जीत का फैसला
झारखंड में पिछले विधानसभा चुनावों, यानी 2009 और 2014 के चुनावों में 43 सीटों पर हार-जीत का फैसला 5000 से भी कम वोटों से हुआ था, जो कि इन चुनावों की उच्च प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है। 2009 के चुनाव में राज्य की कुल 43 विधानसभा सीटों में से 26 सीटों पर हार-जीत का अंतर 5000 वोटों से कम था। इनमें से 26 सीटों पर संबंधित पार्टियां अगले चुनाव में अपनी जीत को बरकरार नहीं रख पाई थीं।
2009 और 2014 के चुनावों में हार-जीत की कहानी
वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में 26 सीटों पर हार-जीत का अंतर 5000 वोटों से कम था। इनमें से 10 सीटों पर ही संबंधित पार्टियां लगातार दूसरी बार जीत हासिल करने में सफल रही थीं। वहीं, 2014 में जब फिर से चुनाव हुआ, तो उन 26 में से 15 सीटों पर संबंधित पार्टियों को फिर से जीत हासिल नहीं हो पाई।
2019 के चुनाव में बदलते समीकरण
2014 के बाद, वर्ष 2019 में इन सीटों पर चुनावी समीकरण और भी बदले। 17 सीटों पर हार-जीत का फैसला 5000 से कम वोटों से हुआ, और इनमें से 11 सीटों पर संबंधित पार्टियां हार गईं। यह परिणाम आगामी चुनावों के लिए एक चेतावनी है, क्योंकि हर सीट पर कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है।
यहाँ पर 2009, 2014, और 2019 के चुनावों में उन सीटों का विवरण दिया गया है जहाँ जीत का अंतर 5000 से कम रहा:
2009 में 5000 से कम वोटों का अंतर वाली सीटें:
- हुसैनाबाद – AJSU (3563 वोटों का अंतर)
- बिशुनपुर – कांग्रेस (2778 वोटों का अंतर)
- शिकारिपाड़ा – झामुमो (1003 वोटों का अंतर)
- दुमका – झामुमो (2569 वोटों का अंतर)
- बड़कागांव – कांग्रेस (4720 वोटों का अंतर)
- हटिया – कांग्रेस (4973 वोटों का अंतर)
- सिंदरी – झामुमो (3760 वोटों का अंतर)
- धनवार – झामुमो (1096 वोटों का अंतर)
- डुमरी – झामुमो (999 वोटों का अंतर)
- घाटशिला – झामुमो (1192 वोटों का अंतर)
2014 में 5000 से कम वोटों का अंतर वाली सीटें:
- गुमला – भाजपा (4032 वोटों का अंतर)
- गरूवडीह – कांग्रेस (2708 वोटों का अंतर)
- जामा – झामुमो (2306 वोटों का अंतर)
- डुमरी – आसजू (1126 वोटों का अंतर)
- डालटनगंज – झामुमो (43 वोटों का अंतर)
- तोपचांची – झामुमो (1035 वोटों का अंतर)
- निरशा – भाजपा (1995 वोटों का अंतर)
- सारायकेला – झामुमो (115 वोटों का अंतर)
- सिसई – झामुमो (2593 वोटों का अंतर)
2019 में 5000 से कम वोटों का अंतर वाली सीटें:
- सिमडेगा – कांग्रेस (285 वोटों का अंतर)
- बाबामारा – भाजपा (824 वोटों का अंतर)
- कोडरमा – भाजपा (1797 वोटों का अंतर)
- मांडू – भाजपा (2062 वोटों का अंतर)
- जामा – झामुमो (2426 वोटों का अंतर)
- देवघर – भाजपा (2674 वोटों का अंतर)
- गरूवडीह – कांग्रेस (3099 वोटों का अंतर)
- नाला – झामुमो (3520 वोटों का अंतर)
- गोड्डा – भाजपा (4512 वोटों का अंतर)
इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि विभिन्न वर्षों में कई सीटों पर जीत का अंतर बहुत कम रहा, जो इन सीटों पर प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है।