विधिक सेवा दिवस पर कानून की अलख जगाने निकले न्यायाधीश
जानकारी के अभाव में लोग रह जाते हैं अपने अधिकारों से वंचित – न्यायाधीश बारला
मिरर मीडिया धनबाद : धनबाद जिले के विभिन्न प्रखंडों में 3 नवंबर से चलाए जा रहें विधिक सेवा सप्ताह की कड़ी में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश राम शर्मा के आदेश पर गुरुवार को राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस के दिन बस्ताकोला झरिया स्थित गायत्री मंंदिर परीसर में विधिक सेवा शिविर व एन जी ओ मां वात्सल्य ट्रस्ट के सहयोग से नेत्र जांच शिविर का आयोजन किया गया।

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देश पर चलाए जा रहें विधिक सेवा सप्ताह के तहत लगाए गए शिविर में बतौर मुख्य अतिथि अवर न्यायाधीश सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार धनबाद निताशा बारला उपस्थित थे। वहीं अपने संबोधन में न्यायाधीश बारला ने कहा कि हर नागरिकों के लिये उचित निष्पक्ष और न्याय प्रक्रिया सुनिश्चित करने व जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर वर्ष 9 नवंबर को राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस मनाया जाता है।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस की शुरुआत पहली बार 1995 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को सहायता और समर्थन प्रदान करने के लिये की गई थी। नालसा का गठन विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के अंतर्गत समाज के कमजोर वर्गों को नि:शुल्क कानूनी सेवाएँ प्रदान करने के लिये और विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिये लोक अदालतों का आयोजन करने के उद्देश्य से किया गया है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश इसके मुख्य संरक्षक होते है। न्यायाधीश श्रीमती बारला ने बताया कि देश के किसी हिस्से में किसी भी तरह के कानूनी जानकारी व सहायता के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 15100 जारी किया गया है जिस पर आप फोन कर किसी भी तरह की कानूनी सहायता प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि 5 दिसंबर 1995 को भारतीय राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण का गठन किया गया था। राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण ने जरूरतमंदों को मुफ्त कानूनी सहायता और परामर्श, मध्यस्थता और सौहार्दपूर्ण निपटान के माध्यम से मामलों के निपटान सहित गतिविधियों को अंजाम दिया। इस प्रकार, यह भारतीय अदालतों के बैकलॉग को कम करने के साथ-साथ जरूरतमंद वादियों को न्याय प्रदान करने का एक अनूठा प्रयास है।
वहीं शिविर को संबोधित करते हुए लीगल एड डिफेंस कांउसिल सिस्टम के डिप्टी चीफ अजय कुमार भट्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 39 ए हर व्यक्ति को अवसर की समानता के आधार पर न्याय को बढ़ावा देने के लिये समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने का प्रावधान करता है। अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 22 (1), विधि के समक्ष समानता सुनिश्चित करने के लिये राज्य को बाध्य करता है। जिसके तहत लोगों को विधि के अनुरूप नि:शुल्क कानूनी सुविधाएं प्रदान की जाती है । राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण ने जरूरतमंदों को मुफ्त कानूनी सहायता और परामर्श, मध्यस्थता के माध्यम से मामलों के निपटारे सहित अन्य गतिविधियों को अंजाम दिया। इस प्रकार, यह भारतीय अदालतों के बैकलॉग को कम करने के साथ-साथ जरूरतमंद वादियों को न्याय प्रदान करने का एक अनूठा प्रयास था।
इस अवसर को मनाने के लिए पहली बार 1995 में राष्ट्रीय कानूनी सेवा दिवस मनाया गया था। राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता सुनिश्चित करता है। सिविल में एएसजी अस्पताल द्वारा दर्जनों लोगों के नेत्र की जांच की गई वहीं दर्जनों लोगों को लेबर कार्ड वृद्धा पेंशन विधवा पेंशन दिव्यांग पेंशन प्रदान किया गया मौके पर बेस्ट पैरा लीगल वालंटियर के रूप में हेमराज चौहान, डीपेंटी गुप्ता, राजेश सिंह व को सम्मानित किया गया वहीं बेस्ट पैनल अधिवक्ता के रूप में जया कुमारी एवं श्रीनिवास प्रसाद को सम्मानित किया गया। मंडल कारा धनबाद में भी विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया जिसमें न्यायाधीश श्रीमती बारला ने बेस्ट पीएलबी के रूप में शिव शंकर दास को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।