डिजिटल डेस्क । मिरर मीडिया: केंद्रीय भूजल बोर्ड की हालिया वार्षिक रिपोर्ट में देशभर में भूजल की गुणवत्ता को लेकर चिंताजनक तस्वीर सामने आई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, जांच किए गए लगभग 15,259 सैंपलों में से 20 प्रतिशत सैंपल निर्धारित मानकों पर असफल रहे। इनमें नाइट्रेट और आर्सेनिक जैसे हानिकारक तत्व निर्धारित सीमा से अधिक पाए गए। विशेष रूप से 9 प्रतिशत सैंपलों में आर्सेनिक का स्तर अधिक होने की पुष्टि हुई है।
क्षेत्रीय अंतर: कुछ राज्यों में पानी पूरी तरह शुद्ध, तो कुछ में बेहद दूषित
रिपोर्ट के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मेघालय, और जम्मू-कश्मीर जैसे क्षेत्रों में भूजल के सभी सैंपल भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के मानकों पर खरे उतरे हैं। इसके विपरीत, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में पानी व्यापक रूप से दूषित पाया गया।
नाइट्रेट प्रदूषण में राजस्थान, तमिलनाडु और महाराष्ट्र सबसे आगे
नाइट्रेट का उच्च स्तर राजस्थान, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में देखा गया है। इन राज्यों में 40 प्रतिशत से अधिक सैंपल मानक सीमा से अधिक नाइट्रेट प्रदूषित पाए गए, जिसका मुख्य कारण खेती में उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग है।
फ्लोराइड और क्लोराइड प्रदूषण से प्रभावित राज्य
फ्लोराइड का उच्चतम स्तर राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मिला। वहीं, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में क्लोराइड का स्तर अधिक पाया गया। हालांकि, मानसून के बाद बारिश के जल से भूजल का प्राकृतिक रिचार्ज हुआ, जिससे प्रदूषण के स्तर में थोड़ी कमी आई।
गंगा-ब्रह्मपुत्र क्षेत्र में आर्सेनिक का खतरा
गंगा और ब्रह्मपुत्र की बाढ़ प्रभावित इलाकों में आर्सेनिक का अत्यधिक स्तर देखा गया। इनमें पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, असम, मणिपुर, पंजाब और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य शामिल हैं।
प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की जरूरत
भूजल की गुणवत्ता पर यह रिपोर्ट देश में स्वच्छ जल प्रबंधन की आवश्यकता को रेखांकित करती है। प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उर्वरकों और औद्योगिक कचरे के उचित निपटान, भूजल के सतत उपयोग और मानसून जल के प्रभावी संचयन की आवश्यकता है।
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