भारत के पास जून 2025 तक कुल 34,600 टन सोना था, जिसका वर्तमान बाजार मूल्य लगभग 3,785 अरब डॉलर आंका गया है। मॉर्गन स्टेनली की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, यह सोना देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का करीब 88.8 प्रतिशत है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्तमान बाजार भाव 4,056 डॉलर प्रति औंस के हिसाब से यह सोना भारतीय परिवारों के पास मौजूद इक्विटी स्टॉक होल्डिंग (1,185 अरब डॉलर) की तुलना में लगभग 3.1 गुना अधिक है। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत दुनिया के सबसे बड़े सोने के बाजारों में से एक बना हुआ है।
वैश्विक मांग में भारत का 26% योगदान
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के आंकड़ों के मुताबिक, जून 2025 तक की चार तिमाहियों के आधार पर भारत का वैश्विक सोने की मांग में 26 प्रतिशत हिस्सा था, जबकि पिछले 5 वर्षों का औसत 23 प्रतिशत रहा। चीन 28 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ पहले स्थान पर है, जबकि भारत दूसरे स्थान पर बना हुआ है।
भारत में सोने की मांग का लगभग दो-तिहाई हिस्सा आभूषणों से आता है। वहीं, छड़ों और सिक्कों के रूप में खुदरा निवेश का हिस्सा भी बढ़ा है — जो पिछले पांच वर्षों में 23.9 प्रतिशत से बढ़कर 32 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
सोने की खपत में गिरावट लेकिन मूल्य में रिकॉर्ड वृद्धि
वॉल्यूम के लिहाज से भारत की वार्षिक सोने की खपत 2021 से 750 से 840 टन के बीच बनी हुई है, जो जून 2011 में दर्ज 1,145 टन के उच्च स्तर से काफी कम है।
हालांकि, घरेलू बाजार में कीमतों में तेज उछाल के कारण मूल्य के लिहाज से खपत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची है। जून 2025 को समाप्त तिमाही में सोने की कुल खपत 68 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची, जबकि जून 2023 में यह 44 अरब डॉलर थी।
घरेलू बचत में सोने की हिस्सेदारी बढ़ी
मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के मुताबिक, घरेलू वित्तीय बचत में जमा की हिस्सेदारी 2024-25 में घटकर 35 प्रतिशत रह गई, जो 2023-24 में 40 प्रतिशत और महामारी से पहले 46 प्रतिशत थी। इसके विपरीत, इक्विटी की हिस्सेदारी बढ़कर 15.1 प्रतिशत के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई, जो महामारी से पहले मात्र 4 प्रतिशत थी।
विश्लेषकों का मानना है कि यह रुझान बताता है कि भारतीय निवेशक पारंपरिक जमा से हटकर सोना और इक्विटी जैसे वैकल्पिक निवेश साधनों की ओर तेजी से रुख कर रहे हैं।