ईरान-इजराइल संघर्ष के बीच भारत सरकार अपने लोगों को मौत के मुंह से बाहर निकाल रही है। भारत सरकार ने “ऑपरेशन सिंधु” चलाकर 1117 से ज़्यादा फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित भारत वापस लाया है। इस ऑपरेशन के तहत कई चरणों में लोग भारत लाए गए हैं। स्वदेश लौटने वालों में छात्र, धार्मिक यात्री और अन्य शामिल थे। सरकार ने ईरान से सहयोग से इस ऑपरेशन को सफल बनाया है।

इजराइल-ईरान जंग के बिच भारतीय नागरिकों को ईरान से निकाला जा रहा है। इसी क्रम में देर रात एक विशेष उड़ान के जरिये 290 भारतीय नागरिक ईरान के मशहद शहर से भारत लौटे। सुरक्षित वतन वापसी पर भारतीय नागरिकों ने भारत सरकार का आभार जताया।
अब तक कितने लोग पहुंचे भारत?
ऑपरेशन सिंधु की शुरुआत के बाद अब तक 1117 लोग सुरक्षित भारत पहुंच चुके हैं। इनमें सबसे पहले 110 मेडिकल छात्रों को वापस लाया गया था। 20 जून को रात 2 बैच में 407 भारतीय लौटे थे, इसके बाद रात 10:30 बजे की फ्लाइट में 190 कश्मीरी छात्रों समेत 290 लोगों की वापसी हुई थी। वहीं अब शनिवार रात को 290 नागरिकों को वापस लाया गया है। इनमें दिल्ली, हरियाणा, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल से भी लोग थे। इससे पहले शुक्रवार देर रात 3 बजे की फ्लाइट में 117 लोग थे।
रफ्तार में ऑपरेशन सिंधु
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि ऑपरेशन सिंधु ने गति पकड़ ली है। 290 भारतीय नागरिक ईरान से मशहद से एक विशेष उड़ान द्वारा सुरक्षित रूप से स्वदेश लौट आए हैं, जो 21 जून 2025 को 11:30 बजे नई दिल्ली में उतरी है। इसके साथ ही, 1,117 भारती।
ईरान में फंसे श्रीलंकाई लोगों को भी निकाला
भारत सरकार ने ना केवल अपने लोगो को खतरे से बाहर निकाला बल्कि पड़ोसी देश की भी मदद की है। भारत ने शनिवार को श्रीलंका को भरोसा दिलाया कि वह ईरान में फंसे हुए श्रीलंकाई नागरिकों को भी वहां से सुरक्षित बाहर निकालने में मदद करेगा। श्रीलंका ने भारत को इसके लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि यह दोनों देशों की मजबूत दोस्ती और सहयोग का उदाहरण है। श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने एक्स पर लिखा, ‘हम ईरान में फंसे श्रीलंकाई नागरिकों की मदद करने के लिए भारत सरकार का दिल से धन्यवाद करते हैं।’ इससे पहले, ईरान में भारतीय दूतावास ने कहा था कि वह नेपाल और श्रीलंका के निवासियों को भी निकालने में मदद करेगा, क्योंकि दोनों देशों ने भारत से यह अनुरोध किया था।