डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 फरवरी को अपनी दो दिवसीय अमेरिकी यात्रा पूरी कर ली। यह यात्रा खास है क्योंकि यह डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी पहली मुलाकात है। इस दौरे के दौरान दोनों नेताओं के बीच व्यापार, ऊर्जा, रक्षा और परमाणु सहयोग सहित कई अहम मुद्दों पर गहन चर्चा हुई।
परमाणु रिएक्टर निर्माण में सहयोग पर बनी सहमति
भारत और अमेरिका के बीच ऊर्जा सुरक्षा को लेकर विशेष ध्यान दिया गया। दोनों देशों ने परमाणु ऊर्जा में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। व्हाइट हाउस में हुई द्विपक्षीय वार्ता के बाद भारत में अमेरिकी डिजाइन वाले परमाणु रिएक्टरों के निर्माण को लेकर प्रतिबद्धता दोहराई गई। इसमें बड़े पैमाने पर स्थानीयकरण और संभावित तकनीकी हस्तांतरण पर भी सहमति बनी।
2008 के असैन्य परमाणु समझौते को मिलेगा नया आयाम
भारत और अमेरिका के बीच 2008 में ऐतिहासिक असैन्य परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे, लेकिन इसके बाद कोई खास प्रगति नहीं हुई थी। 21वीं सदी में भारत में कोई भी नया अमेरिकी परमाणु रिएक्टर स्थापित नहीं किया गया। इस यात्रा में दोनों देशों ने इस गतिरोध को समाप्त करने और भारत में उन्नत छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) बनाने में रुचि दिखाई।
आंध्र प्रदेश में 6 नए परमाणु रिएक्टर बनाने की योजना
भारत सरकार और अमेरिकी कंपनी वेस्टिंगहाउस के बीच आंध्र प्रदेश के कोव्वाडा में 1,000 मेगावाट के छह परमाणु रिएक्टर बनाने की परियोजना पर भी चर्चा हुई। इसके अलावा अमेरिका से रिएक्टर डिजाइन लेकर भारत में ही निर्माण करने और तकनीकी हस्तांतरण (टेक्नोलॉजी ट्रांसफर) को लेकर भी सहमति बनी।
व्यापार और रक्षा क्षेत्र में भी होंगे नए समझौते
इसके अलावा, भारत और अमेरिका ने व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करने पर सहमति जताई। रक्षा क्षेत्र में नई साझेदारियों को लेकर भी बातचीत हुई, जिससे दोनों देशों के सामरिक रिश्ते और गहरे होंगे। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत-अमेरिका संबंधों को एक नई दिशा देने के साथ-साथ भविष्य की ऊर्जा और रक्षा जरूरतों को पूरा करने में मील का पत्थर साबित हो सकती है।