डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: इजरायल के साथ बढ़ते तनाव के बीच, भारतीय नौसेना के युद्धपोत ईरान के बंदर अब्बास बंदरगाह पर पहुंच चुके हैं। भारत और ईरान की नौसेनाएं फारस की खाड़ी में संयुक्त समुद्री अभ्यास में हिस्सा लेने जा रही हैं। इस अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों के बीच समुद्री सहयोग को और मजबूत करना है। ईरानी युद्धपोत जेराह ने भारतीय युद्धपोतों का बंदरगाह पर स्वागत किया। भारत ने इस अभ्यास के लिए अपने बेड़े में तीन प्रशिक्षण युद्धपोतों को भेजा है, जिनमें आईएनएस तीर, आईएनएस शार्दुल और आईसीजीएस वीरा शामिल हैं।
समुद्री सहयोग और रणनीतिक साझेदारी
भारतीय नौसेना ने दो अक्टूबर को बताया कि यह बेड़ा बंदर अब्बास पहुंच चुका है, जहां भारत और ईरान की नौसेनाएं मिलकर अभ्यास करेंगी। गौरतलब है कि इससे पहले इसी साल मार्च में ईरानी प्रशिक्षण जहाज बुशहर और टोनब मुंबई बंदरगाह पहुंचे थे, जबकि फरवरी में ईरानी युद्धपोत डेना ने भारतीय नौसेना के मिलन अभ्यास में भाग लिया था। भारत और ईरान के बीच यह समुद्री सहयोग दोनों देशों के रक्षा संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने का संकेत है।
भारत की सधी विदेश नीति
इजरायल के साथ निकटता और ईरान के साथ यह युद्धाभ्यास भारत की सधी हुई विदेश नीति का एक हिस्सा है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से फोन पर बातचीत भी की थी। खास बात यह है कि भारत के इजरायल और ईरान दोनों के साथ ही अच्छे संबंध हैं, जो दुनिया के बहुत कम देशों के पास हैं। भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह में भी बड़े पैमाने पर निवेश किया है, जो इस रणनीतिक साझेदारी का एक अहम हिस्सा है।
तटस्थता और साहसिक कदम
ईरान और भारत की नौसेनाओं के बीच इस संयुक्त अभ्यास को भारत का एक साहसिक और तटस्थ रणनीतिक कदम माना जा रहा है। इससे पहले, भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान पश्चिमी दबाव के बावजूद रूस से कच्चे तेल का आयात जारी रखा था, जो उसकी तटस्थ विदेश नीति का एक और उदाहरण था।
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