इसरो (ISRO) ने स्पेडेक्स (SPADEX) मिशन की सफल लॉन्चिंग के साथ भारत की अंतरिक्ष यात्रा को नई ऊंचाई दी है। यह सफलता भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में और मजबूती से स्थापित करती है। आने वाले सालों में इसरो कई बड़े और महत्वाकांक्षी मिशनों पर काम कर रहा है, जिनमें निसार (NISAR), चंद्रयान-4, लूपेक्स, और शुक्रयान जैसे प्रमुख प्रोजेक्ट शामिल हैं। इसके साथ ही, गगनयान परियोजना और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के जरिए भारत अंतरिक्ष तकनीक में नए कीर्तिमान स्थापित करने की तैयारी में है।
निसार मिशन: धरती की निगरानी का क्रांतिकारी कदम
NASA और ISRO के संयुक्त सहयोग से 2025 में निसार (NISAR) मिशन लॉन्च किया जाएगा। यह सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) तकनीक से लैस एक उन्नत पृथ्वी निगरानी सैटेलाइट है। इसका उद्देश्य पर्यावरणीय बदलाव, प्राकृतिक आपदाओं, और सीमा सुरक्षा पर नजर रखना है।
प्रमुख विशेषताएं:
240 किलोमीटर चौड़ी पट्टी की हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीरें।
12 दिनों में पूरी पृथ्वी का नक्शा।
2,800 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट में 39 फुट लंबा एंटीना रिफ्लेक्टर।
लक्ष्य: जलवायु परिवर्तन, भूस्खलन, और ग्लेशियर पिघलने जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर निगरानी।
निवेश: ISRO ने 788 करोड़ रुपये और NASA ने 808 मिलियन डॉलर का योगदान दिया है।
चंद्रयान-4: चांद की सतह से सैंपल लाने का मिशन
स्पेडेक्स मिशन चंद्रयान-4 के लिए एक अहम तैयारी थी। चंद्रयान-4 का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह से मिट्टी के सैंपल लाकर पृथ्वी पर उनका अध्ययन करना है।
प्रमुख घटक: प्रोपल्शन, डिसेंडर, एसेंडर, ट्रांसफर, और री-एंट्री मॉड्यूल।
महत्व: यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
लूपेक्स: भारत-जापान का साझा मून मिशन
ISRO और जापान की अंतरिक्ष एजेंसी JAXA मिलकर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लूपेक्स (LUPEX) मिशन लॉन्च करेंगे।
लक्ष्य: चांद की अंधेरे वाली सतह पर ड्रिलिंग और पानी व संसाधनों की खोज।
तकनीकी साझेदारी:
जापानी रॉकेट का उपयोग।
ISRO द्वारा लैंडर और JAXA द्वारा रोवर तैयार किया जाएगा।
अवधि: मिशन 100 दिनों तक चलने की योजना है।
शुक्रयान मिशन: वीनस की गहराइयों की खोज
भारत का वीनस ऑर्बिटर मिशन (VOM) 2028 में लॉन्च होने वाला है।
उद्देश्य:
शुक्र ग्रह के जहरीले वायुमंडल और सतह के चरम तापमान का अध्ययन।
सूर्य और शुक्र के बीच की अंतःक्रियाओं का विश्लेषण।
चुनौतियां:
वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी से 92 गुना अधिक।
तापमान 475°C तक।
गगनयान: भारत का मानवयुक्त मिशन
इसरो अपने पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान पर तेजी से काम कर रहा है।
लक्ष्य: अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की कक्षा में भेजना।
मूल्य: भारत को अंतरिक्ष यात्राओं में आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास।
भविष्य की दृष्टि
साल 2025 में ISRO के 36 सैटेलाइट लॉन्च की योजना और रूस व अमेरिका के साथ अंतरिक्ष में सहयोग के प्रयास भारत को स्पेस टेक्नोलॉजी में नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे। ये मिशन न केवल भारत की वैज्ञानिक क्षमताओं को प्रदर्शित करेंगे, बल्कि अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को और मजबूत करेंगे।