भारत की जनसंख्या 146 करोड़ के पार, जन्मदर में गिरावट चिंता का विषय: संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट

KK Sagar
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संयुक्त राष्ट्र (UN) की हालिया जनसांख्यिकीय रिपोर्ट के अनुसार, भारत की कुल जनसंख्या 146 करोड़ का आंकड़ा पार कर चुकी है। रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि देश में प्रजनन दर (Fertility Rate) में लगातार गिरावट आ रही है, जो अब 2.0 तक पहुंच गई है। यह आंकड़ा रिप्लेसमेंट लेवल यानी 2.1 से भी नीचे है, जो आने वाले वर्षों में जनसंख्या स्थिर होने या घटने का संकेत देता है।

क्या कहती है रिपोर्ट?

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अब विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है, लेकिन यह जनसंख्या तेजी से बूढ़ी होती जा रही है। 1950 में जहां एक महिला औसतन 5 बच्चों को जन्म देती थी, वहीं अब यह दर गिरकर 2.0 पर आ गई है। यह गिरावट भारत को चीन और जापान जैसे देशों की दिशा में ले जा सकती है, जहां जन्मदर बहुत कम है और बुजुर्गों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

क्यों है यह चिंता का विषय?

विशेषज्ञों का मानना है कि गिरती हुई प्रजनन दर से आने वाले वर्षों में कार्यबल की कमी, आर्थिक दबाव और बुजुर्गों पर निर्भरता में वृद्धि हो सकती है। खासतौर पर तब, जब देश की अर्थव्यवस्था को युवा कार्यबल की आवश्यकता होती है।

अन्य प्रमुख बिंदु:

  • शहरीकरण और शिक्षा: शहरी क्षेत्रों, उच्च शिक्षा और महिलाओं की रोजगार में भागीदारी बढ़ने से प्रजनन दर में गिरावट देखी जा रही है।
  • नीतिगत बदलाव की जरूरत: विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार को अब नीतियों में बदलाव लाकर बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और आर्थिक सहायता के क्षेत्रों में ध्यान देना होगा।

निष्कर्ष:

जहां एक ओर भारत की बढ़ती जनसंख्या अभी भी बड़ी जनशक्ति का प्रतीक मानी जा सकती है, वहीं घटती जन्मदर भविष्य के लिए नई सामाजिक और आर्थिक चुनौतियाँ प्रस्तुत कर रही है। यह समय है जब नीति निर्धारकों को दीर्घकालिक रणनीति पर विचार करना चाहिए।

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