ईरान-इजरायल युद्ध: डोनाल्ड ट्रंप ने की सीजफायर की घोषणा, मध्य पूर्व में शांति की उम्मीद

Manju
By Manju
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डिजिटल डेस्क, तेहरान/तेल अवीव: ईरान और इजरायल के बीच 12 दिनों तक चले भीषण सैन्य संघर्ष के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 24 जून को एक “पूर्ण और स्थायी” युद्धविराम की घोषणा की। इस सीजफायर को ’12-दिवसीय युद्ध’ के अंत के रूप में देखा जा रहा है, जिसने मध्य पूर्व में भारी तबाही मचाई। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल और एक्स पर पोस्ट कर इस समझौते की जानकारी दी, जिसमें कतर की मध्यस्थता की भूमिका को भी रेखांकित किया गया।

ट्रंप के अनुसार, सीजफायर की शुरुआत 24 जून को हुई, जिसमें ईरान ने पहले 12 घंटे और इजरायल ने अगले 12 घंटे के लिए हमले रोकने की सहमति जताई। 24 घंटे बाद युद्ध को आधिकारिक रूप से समाप्त माना गया। दोनों पक्षों से शांतिपूर्ण व्यवहार और सम्मानजनक रुख अपनाने की अपील की गई। इजरायल ने इस शर्त पर सहमति दी कि ईरान आगे कोई हमला नहीं करेगा।

13 जून से शुरू हुए इस युद्ध में इजरायल ने ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ के तहत ईरान के परमाणु ठिकानों और सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमले किए, जबकि ईरान ने ‘ऑपरेशन ऑनेस्ट 3’ के तहत तेल अवीव, हाइफा और यरुशलम जैसे शहरों पर बैलिस्टिक और हाइपरसोनिक मिसाइलें दागीं। इस संघर्ष में ईरान में 400 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर नागरिक थे, जबकि इजरायल में 24-25 लोगों की मौत और सैकड़ों घायल होने की खबर है। दोनों पक्षों को भारी बुनियादी ढांचे का नुकसान हुआ।

विवाद और अनिश्चितता
हालांकि ट्रंप ने सीजफायर की घोषणा की, लेकिन ईरान और इजरायल ने तुरंत इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की। ईरान के विदेश मंत्री ने कहा कि कोई औपचारिक समझौता नहीं हुआ है, लेकिन अगर इजरायल सुबह 4 बजे तक हमले रोकता है, तो ईरान भी जवाबी कार्रवाई नहीं करेगा। वहीं, कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि तेहरान में सीजफायर की घोषणा के बाद भी विस्फोट और इजरायली हमले जारी रहे, जिससे स्थिति अस्पष्ट बनी हुई है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंतोनियो गुतेरस ने तनाव कम करने की अपील की और इस सीजफायर को क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण बताया। रूस, चीन और पाकिस्तान ने इजरायली हमलों की निंदा की, जबकि अमेरिका ने इजरायल का समर्थन दोहराया। भारत ने अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए ‘ऑपरेशन सिंधु’ के तहत ईरान और इजरायल से हजारों लोगों को निकाला है।

विश्लेषकों का मानना है कि यह सीजफायर तात्कालिक राहत तो दे सकता है, लेकिन दीर्घकालिक शांति के लिए ईरान के परमाणु कार्यक्रम और क्षेत्रीय तनाव के मूल कारणों को संबोधित करना जरूरी है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ईरान को रूस या चीन जैसे देशों से समर्थन मिला, तो यह संघर्ष फिर से भड़क सकता है। सीजफायर की सफलता अब दोनों पक्षों की प्रतिबद्धता और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सहयोग पर निर्भर करेगी। मध्य पूर्व में शांति की उम्मीदें बढ़ी हैं, लेकिन स्थिति अभी भी नाजुक बनी हुई है।

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