झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के करीब आते ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस बार चर्चा का केंद्र राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का ऐलान है, जिसमें उन्होंने अकेले चुनाव लड़ने की बात कही है। राजद के इस निर्णय के बाद से बिहार और झारखंड दोनों ही राज्यों में सियासी खलबली मच गई है।
राजद के प्रवक्ता मनोज झा ने 20 अक्टूबर को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया कि पार्टी को झारखंड में 12 सीटों से कम पर चुनाव लड़ना मंजूर नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर पार्टी को अकेले चुनाव मैदान में उतरना पड़ा तो भी इंडिया गठबंधन को कोई नुकसान नहीं होगा। झा ने यह भी बताया कि राजद झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और कांग्रेस की 60 सीटों पर मदद करेगा, लेकिन वह अपनी हिस्सेदारी पर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगा।
राजद प्रवक्ता ने आगे कहा कि 2019 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 7 सीटों पर चुनाव लड़ा था और एक सीट पर जीत दर्ज की थी। हालांकि, कई सीटों पर मुकाबला बेहद करीब का था, जिससे पार्टी की मजबूती का अंदाजा लगाया जा सकता है। जीतने वाले विधायक सत्यानंद भोक्ता वर्तमान में हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री हैं।
मनोज झा ने यह भी कहा कि राजद का एकमात्र उद्देश्य भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को हराना है, और पार्टी का अकेले चुनाव लड़ने से इंडिया गठबंधन को कोई नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि राजद नेता लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने हमेशा बीजेपी के खिलाफ खुलकर लड़ाई लड़ी है, और तेजस्वी यादव का इंडिया गठबंधन को राष्ट्रीय स्तर पर बनाने में अहम योगदान रहा है।
इस राजनीतिक घटनाक्रम से झारखंड की सियासत में नए समीकरण बनने के संकेत मिल रहे हैं। जहां एक ओर राजद के इस ऐलान से गठबंधन की एकता पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पार्टी का दावा है कि इससे इंडिया गठबंधन की ताकत कम नहीं होगी।