देश: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने पृथ्वी और महासागरों का अध्ययन करने के लिए तीसरी पीढ़ी के मौसम अवलोकन सेटेलाइट इनसेट–3 डीएस को लांच किया। इस लॉन्चिंग साथ ही इसरो की उपलब्धियों में एक और नंबर बढ़ गया है।
275 घंटे की उल्टी गिनती के बाद लगभग 52 मीटर लंबे जियोसिंक्रोनस सेटेलाइट लांच व्हीकल (जोएसएलवी) एफ14 ने शनिवार शाम 5.35 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इनसेट –3डीएस के साथ उड़ान भरी।
लगभग 20 मिनट की उड़ान के बाद 2274 किलोग्राम वजनी इनसेट –3डीएस को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर आर्बिट में स्थापित कर दिया गया। इसरो के विज्ञानी आने वाले दिनों में उपग्रह को भू-स्थिर कक्षा में स्थापित करने के लिए प्रयास करेंगे।
10 वर्ष तक मौसम संबंधी डेटा का करेगा अध्ययन
इनसेट का मतलब इंडियन नेशनल सेटेलाइट सिस्टम है। मिशन का उद्देश्य इस समय काम कर रहे इनसेट-3 डी (2013 में लांच) और इनसेट-3 डीआर (सितंबर 2016 में लांच) को उन्नत मौसम संबंधी डाटा, भूमि और महासागर सतहों की निगरानी, मौसम पूर्वानुमान और आपदा चेतावनी के लिए सेवाओं की निरंतरता प्रदान करना है। इस मिशन की अवधि लगभग 10 वर्ष होने की उम्मीद है।
आत्मविश्वास में हुई बढ़ोतरी: एस. सोमनाथ
इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने मिशन की सफलता की घोषणा करते हुए कहा कि इस सफलता से इसरो का आत्मविश्वास और बढ़ गया है। उन्होंने कहा, जैसा कि आप सभी जानते हैं, जीएसएलवी का अगला मिशन नासा-इसरो सिथेटिक एपर्चर रडार (निसार) उपग्रह होगा। उन्होंने कहा, इनसेट-3डीएस मौजूदा इनसेट श्रृंखला की तुलना में बेहतर क्षमता वाला अगली पीढी का मौसम उपग्रह है।
वहीं, इस सफलता के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि उन्नत मौसम उपग्रह इनसेट –3 डीपस के सफल प्रक्षेपण पर हमारे विज्ञानियों को बचाई। तीसरी पीढ़ी का यह उपकरण प्राकृतिक आपदाओं से सटीकता से लड़ने में भारत की ताकत को मजबूत करेगा। यह हर आपदा में जीरो कैजुअल्टी के पीएम नरेन्द्र मोदी जी के संकल्प को साकार करने की दिशा में बड़ा कदम है।