रविवार को धनबाद मंडल कारा में जेल अदालत का आयोजन किया गया, जिसे धनबाद प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार वीरेंद्र कुमार तिवारी के निर्देश पर आयोजित किया गया। इस अदालत का उद्देश्य जेल में बंद ऐसे व्यक्तियों को न्याय प्रदान करना था, जिनके मामलों में त्वरित समाधान संभव है।
चार बंदियों को मिली रिहाई
जेल अदालत के दौरान चार बंदियों—मो. इस्लाम, बड़का महतो, रंजीत मांझी और सागर चौहान—को न्यायिक प्रक्रिया के तहत सुनवाई के बाद रिहा किया गया। इन बंदियों को पीठासीन न्यायिक दंडाधिकारियों के समक्ष पेश किया गया, जिनमें अवर न्यायाधीश राकेश रोशन, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी अभिजीत पांडे, रेलवे एक्ट के न्यायिक दंडाधिकारी मनोज कुमार, और न्यायिक दंडाधिकारी ऋषि कुमार शामिल थे।
बंदियों का भावुक संदेश
रिहा हुए बंदियों ने जेल से बाहर निकलते समय कहा, “डालसा ने हमें नई जिंदगी दी है। हम अब अपनी गलतियों को दोहराएंगे नहीं।” उनका यह बयान अदालत के प्रति उनके विश्वास और अपराध-मुक्त जीवन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
जेल अदालत की प्रक्रिया और भूमिका
इस अदालत में बंदियों को उनकी रिहाई से पहले कानूनी जानकारी दी गई। न्यायाधीशों ने उन्हें बताया कि कैसे वे कानूनी अधिकारों का उपयोग कर सकते हैं और समाज में अपनी जिम्मेदारी निभा सकते हैं। इस पहल ने जेल के अंदर न्यायिक प्रणाली की पहुंच को और मजबूत किया है।
प्रमुख अधिकारी और सहयोगी उपस्थित
इस आयोजन में लीगल एड डिफेंस काउंसिल के चीफ कुमार विमलेंदु, डिप्टी चीफ अजय कुमार भट्ट, सहायक काउंसिल नीरज गोयल, जेल डॉक्टर राजीव कुमार, जेल सहायक एम.के. गुप्ता, डालसा सहायक अरुण कुमार, राजेश सिंह, चंदन कुमार, और पीएलवी उज्जवल कुमार समेत कई अधिकारी और सहयोगी उपस्थित थे।
डालसा का योगदान
जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डालसा) की सक्रिय भागीदारी ने यह सुनिश्चित किया कि बंदियों को कानूनी सहायता मिले और उनकी रिहाई सुगम हो सके। बंदियों ने डालसा की सराहना करते हुए कहा कि इस सहायता ने उनके जीवन में नई दिशा दी।
न्याय और पुनर्वास का संदेश
यह जेल अदालत न केवल बंदियों को न्याय देने का मंच बनी, बल्कि उनके पुनर्वास और सामाजिक पुनःस्थापना का प्रतीक भी बनी। यह आयोजन न्याय प्रणाली की मानवतावादी पहल की एक मिसाल है, जो सुधार और पुनर्वास के साथ न्याय प्रदान करने पर जोर देती है।