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Jamshedpur news : बागबेड़ा से लापता मुस्लिम युवक के शव का हिंदू रीति-रिवाज से दाह संस्कार, पुलिस पर भड़का लोगों का गुस्सा

डिजिटल डेस्क। जमशेदपुर : झारखंड के जमशेदपुर में एक संवेदनशील और विवादास्पद मामला सामने आया है, जिसने प्रशासनिक लापरवाही और धार्मिक असंवेदनशीलता के सवाल खड़े कर दिए हैं। बागबेड़ा थाना क्षेत्र से 11 अप्रैल 2025 से लापता मोहम्मद सैफ अली नामक मुस्लिम युवक का शव 24 अप्रैल 2025 को बरामद हुआ। जिसके बाद 29 अप्रैल को शव का दाह संस्कार कर दिया गया। आरोप है कि पुलिस ने न तो परिवार को शव मिलने की सूचना दी और न ही शव की पहचान की प्रक्रिया को ठीक से अपनाया। इसके बजाय, शव को हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार पार्वती घाट पर जला दिया गया, जिसे परिवार और समुदाय ने धार्मिक मूल्यों का अपमान बताया है। इस घटना ने स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं हैं।


मामले का विवरण
लापता होने की घटना: मोहम्मद सैफ अली 11 अप्रैल 2025 से जुगसलाई थाना क्षेत्र से लापता थे। परिवार ने जुगसलाई थाना में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने कथित तौर पर इसे दर्ज करने से इनकार कर दिया। 24 अप्रैल 2025 को बागबेड़ा थाना क्षेत्र में सैफ का शव मिला। परिवार का दावा है कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं दी। पुलिस ने शव की पहचान किए बिना और परिवार की सहमति के बिना इसे हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार पार्वती घाट पर जला दिया। यह इस्लामिक अंतिम संस्कार की परंपराओं के खिलाफ है, जिसमें शव को दफनाया जाता है। परिवार और स्थानीय लोगों ने पुलिस पर गंभीर लापरवाही और धार्मिक संवेदनशीलता की अनदेखी का आरोप लगाया है। सवाल उठ रहे हैं कि बिना पहचान और परिवार की सूचना के शव का अंतिम संस्कार कैसे किया गया।


जनता का आक्रोश
सोशल मीडिया, विशेष रूप से X पर, इस घटना को लेकर लोगों का गुस्सा साफ दिख रहा है। कई यूजर्स ने इसे “मानवता को झकझोरने वाली घटना” और “संवैधानिक मूल्यों का अपमान” करार दिया है। प्रमुख प्रतिक्रियाएं:
@Aamirlucky67 ने स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस “रहस्यमयी मौत” की जांच की मांग की। उन्होंने दावा किया कि जुगसलाई थाना ने गुमशुदगी की शिकायत दर्ज नहीं की, जिससे परिवार को समय पर जानकारी नहीं मिली।
@Furrat_h ने इसे प्रशासनिक लापरवाही और धार्मिक असंवेदनशीलता का गंभीर मामला बताया, जिसमें पुलिस ने परिवार को अंधेरे में रखा।
@SartajAlamIndia ने सवाल उठाया कि क्या ऐसी कार्रवाई पुलिस की कार्यशैली को दर्शाती है, और इसकी निष्पक्ष जांच की मांग की।


प्रशासन की चुप्पी
अभी तक जुगसलाई या बागबेड़ा पुलिस, पूर्वी सिंहभूम के डीसी, या अन्य अधिकारियों की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। पुलिस ने यह भी स्पष्ट नहीं किया कि शव की पहचान कैसे हुई और इसे हिंदू रीति-रिवाज से जलाने का फैसला क्यों लिया गया। इस चुप्पी ने लोगों के गुस्से को और भड़काया है।


जांच की मांग
परिवार और स्थानीय समुदाय ने इन सवालों पर निष्पक्ष जांच की मांग की है।

जुगसलाई थाना ने गुमशुदगी की शिकायत क्यों नहीं दर्ज की?
शव की पहचान के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई गई, और परिवार को सूचित क्यों नहीं किया गया?

धार्मिक परंपराओं की अनदेखी कर शव का दाह संस्कार करने का फैसला किसने लिया?

सैफ अली की मौत के कारण क्या थे, और क्या इसमें कोई आपराधिक साजिश थी?

यह मामला धार्मिक और सामाजिक रूप से अत्यंत संवेदनशील है। अगर इसे जल्दी और पारदर्शी ढंग से नहीं निपटाया गया, तो यह सामुदायिक तनाव और राजनीतिक विवाद को जन्म दे सकता है। स्थानीय लोग और सामाजिक कार्यकर्ता इस मामले को लेकर स्वास्थ्य मंत्री, डीसी पूर्वी सिंहभूम, और झारखंड सरकार के समक्ष अपनी शिकायतें रख रहे हैं।

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