Jamshedpur : प्रगतिशील किसानों ने साझा किए अनुभव, बेहतर करने वालों को मिला सम्मान

Manju
By Manju
4 Min Read

डिजिटल डेस्क। जमशेदपुर : जिले के प्रगतिशील किसानों के साथ डीसी ऑफिस में बैठक आयोजित की गई। उप विकास आयुक्त की अध्यक्षता में आहूत बैठक में जिले के किसानों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया गया। ताकि वे एक दूसरे के अनुभवों से सीख सकें तथा अपने गांव-पंचायत के अन्य किसानों को भी खेती-किसानी की नई तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित कर सकें। इस मौके पर प्रगतिशील किसानों ने विभिन्न कृषि उत्पाद जैसे मशरूम, फूल की खेती, सब्जी व अन्य उत्पादों में बेहतर कार्य व उत्पादन से जुड़े अपने अनुभव साझा किए। कृषि क्षेत्र में बेहतर करने वाले किसानों को उप विकास आयुक्त व पीडी आईडीटीए द्वारा सम्मानित भी किया गया।

राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ लें, समेकित कृषि प्रणाली से जुड़ें किसान’

उप विकास आयुक्त मनीष कुमार ने कहा कि कृषि क्षेत्र में जिला में अपार संभावनायें है। उन्होने जिले में कृषि उद्यमिता को बढावा देने की बात कही। किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों से जुड़ने, गांव-गांव में किसान गोष्ठी करने पर बल दिया। उन्होने कहा कि यह ऐसा जिला है जहां धान, सब्जी की व्यापक मात्रा में खेती से लेकर काजू की भी खेती होती है। राज्य सरकार द्वारा किसानों को खेती की नई तकनीक सीखने के लिए इजरायल भेजा गया इसमें पूर्वी सिंहभूम जिला के किसान भी शामिल हैं। कृषि विभाग द्वारा भी प्रतिवर्ष चयनित प्रगतिशील किसानों को दूसरे राज्य तथा झारखंड राज्य के अलग-अलग जिलों का परिभ्रमण कराया जाता है। इन सभी कार्यक्रमों का यही उद्देश्य होता है कि जब वे किसान अपने ग्राम-पंचायत में वापस लौटें तो अपने अनुभव से अन्य किसानों को भी प्रेरित करें। जिला स्तरीय बैठक का आयोजन भी इसी दिशा में एक पहल है तथा इसे नियमित किया जाएगा जिससे किसान एक मंच पर आकर अपनी सफलताओं से दूसरे किसानों को प्रेरित कर सकें।

उप विकास आयुक्त ने कहा कि पारंपरिक खेती को छोड़कर इससे एक कदम अब आगे बढ़ाना है। राज्य सरकार कृषि क्षेत्र में आवश्यक सहयोग के अलावा पशुपालन, मत्स्य पालन से भी किसानों को जोड़ने के लिए योजनायें संचालित कर रही है। जरूरत है कि स्थानीय स्तर पर किसान योजना का लाभ लेते हुए बहुउपज को बढ़ावा दें, समेकित कृषि प्रणाली को अपनायें। खेती से जुड़े किसान पशुपालन, मत्स्यपालन भी करें ताकि वे आर्थिक रूप से और समृद्ध हो सकें।

मूल्यवर्धक अनाज उत्पादन पर हो फोकस

पी.डी आईटीडीए दीपांकर चौधरी ने कहा कि समाज के तौर पर हम तभी विकसित माने जाएंगे जब हमारे अन्नदाता किसान समृद्ध और सशक्त होंगे। किसानों को भी खेती-किसानी के नई तकनीकों को अपनाने की आवश्कता है जिससे उनकी उपज के साथ आमदनी बढ़े। मूल्यवर्धक खेती जैसे सब्जी, फूल या कृषि क्षेत्र में अन्य संभावनाओं को भी तलाशें, सरकार की योजनाएं जिससे सिंचाई समस्या को दूर करना हो या बीज वितरण, तकनीक की जानकारी उपलब्ध कराना, केसीसी से आर्थिक सहयोग हर स्तर पर किसानों को सशक्त करने का प्रयास है, जरूरत है कि किसान भी जागरूक होकर योजनाओं का लाभ लें, वैसे किसान जो प्रखंड मुख्यालय का कृषि कार्यालय नहीं आ पाते उन्हें भी जागरूक करें, तकनीक साझा करें, योजनाओं का लाभ दिलाने में मदद करें। निदेशक एनईपी अजय साव ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में कृषि, सहकारिता, उद्यान तथा पशुपालन विभागीय योजनायें काफी अहम है। जागरूक नागरिक की तरह जागरूक किसान भी बनें और सरकार की योजनाओं का लाभ लेते हुए आर्थिकोपार्जन के नए स्रोत सृजित करें।

Share This Article