झारखंड, जिसका अर्थ है जंगलों से घिरा प्रदेश, वन्य क्षेत्रों और आदिवासी समुदायों से सुसज्जित एक अनोखी भूमि है। इस राज्य का गठन झारखंड आंदोलन की लंबी लड़ाई के बाद 15 नवंबर 2000 को हुआ था, जो महान आदिवासी नेता भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन पर हुआ था। इस वर्ष, 24वां झारखंड दिवस मनाने के साथ ही राज्य विधानसभा चुनाव भी चल रहे हैं। यह एक ऐतिहासिक अवसर है, क्योंकि राज्य के गठन के बाद से लगातार सत्ता परिवर्तन का सिलसिला जारी है, और अब एक बार फिर से बीजेपी तथा जेएमएम (झारखंड मुक्ति मोर्चा) के बीच सत्ता की जंग चल रही है।
झारखंड आंदोलन और शिबू सोरेन का योगदान
बीजेपी को झारखंड की स्थापना का श्रेय दिया जाता है, क्योंकि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने बिहार से इसे अलग कर राज्य का निर्माण किया था। लेकिन राज्य को उसकी पहचान दिलाने में जेएमएम अध्यक्ष शिबू सोरेन का संघर्ष अविस्मरणीय है। शिबू सोरेन ने झारखंड आंदोलन के दौरान अत्यंत कठिनाइयों का सामना किया और आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। आज हालांकि शिबू सोरेन राजनीतिक रूप से सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन उनके बेटे और वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पार्टी के सभी फैसले लेते हैं। हेमंत सोरेन से सत्ता छीनने के लिए बीजेपी इस बार पूरी ताकत लगा रही है।
बीजेपी और झारखंड का सफर
2000 में झारखंड राज्य का गठन होते ही बीजेपी की सरकार बनी थी, और बाबूलाल मरांडी प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने। हालांकि, पार्टी में आंतरिक विवादों के चलते उनका कार्यकाल सिर्फ दो साल और तीन महीने का ही रहा। इसके बाद बीजेपी के लिए झारखंड में स्थिरता बनाना चुनौतीपूर्ण रहा। शुरुआती वर्षों में सत्ता के लिए झारखंड में आदिवासी और गैर-आदिवासी समुदायों के बीच राजनीति में तनाव बना रहा।
बीजेपी ने झारखंड में अकेले सरकार बनाई थी, जबकि बिहार में उसे नीतीश कुमार की जेडीयू के साथ गठबंधन पर निर्भर रहना पड़ा। बिहार में बीजेपी को मुख्यमंत्री पद नहीं मिल सका, जबकि झारखंड में उसकी सरकार की नींव शुरुआती समय में ही मजबूत हुई थी।
झारखंड में मुख्यमंत्री का बदलता चेहरा
झारखंड की राजनीति में पिछले 24 सालों में कई मुख्यमंत्रियों ने बारी-बारी से सत्ता संभाली। झारखंड में 2000 से 2014 तक कोई भी मुख्यमंत्री ज्यादा लंबे समय तक पद पर नहीं टिक सका। बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधु कोड़ा, और हेमंत सोरेन जैसे नेताओं का औसतन कार्यकाल 15 महीनों का रहा। झारखंड की राजनीति में अस्थिरता की स्थिति बनी रही और कई बार राष्ट्रपति शासन भी लागू करना पड़ा।
वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस पद पर पहले भी रहे हैं, और उन्होंने आदिवासी समुदाय के मुद्दों पर मजबूत रुख अपनाया है। उनके नेतृत्व में झारखंड में एक बार फिर से विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, जिसका परिणाम 23 नवंबर को आएगा।
झारखंड के मुख्यमंत्रियों की सूची और कार्यकाल
- बाबूलाल मरांडी – 15 नवंबर 2000 से 18 मार्च 2003 (भाजपा)
- अर्जुन मुंडा – 18 मार्च 2003 से 2 मार्च 2005 (भाजपा)
- शिबू सोरेन – 2 मार्च 2005 से 12 मार्च 2005 (झामुमो)
- अर्जुन मुंडा – 12 मार्च 2005 से 18 सितंबर 2006 (भाजपा)
- मधु कोड़ा – 18 सितंबर 2006 से 28 अगस्त 2008 (निर्दलीय)
- शिबू सोरेन – 28 अगस्त 2008 से 18 जनवरी 2009 (झामुमो)
राष्ट्रपति शासन – 19 जनवरी 2009 से 29 दिसंबर 2009
- शिबू सोरेन – 30 दिसंबर 2009 से 31 मई 2010 (झामुमो)
राष्ट्रपति शासन – 1 जून 2010 से 10 सितंबर 2010
- अर्जुन मुंडा – 11 सितंबर 2010 से 18 जनवरी 2013 (भाजपा)
राष्ट्रपति शासन – 18 जनवरी 2013 से 13 जुलाई 2013
- हेमंत सोरेन – 13 जुलाई 2013 से 23 दिसंबर 2014 (झामुमो)
- रघुवर दास – 28 दिसंबर 2014 से 28 दिसंबर 2019 (भाजपा)
- हेमंत सोरेन – 29 दिसंबर 2019 से 31 जनवरी 2024 (झामुमो)
- चंपई सोरेन – 2 फरवरी 2024 से 3 जुलाई 2024 (झामुमो)
- हेमंत सोरेन – 4 जुलाई 2024 से अब तक (झामुमो)
झारखंड का भविष्य: जनता का फैसला
चुनावी परीक्षा में एक बार फिर से झारखंड अपनी स्थिरता और विकास के सवालों का जवाब तलाश रहा है। राज्य में खनिजों की प्रचुरता और समृद्धि की संभावनाएं हैं, लेकिन आदिवासी समुदाय के अधिकारों और बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान देना भी जरूरी है। अब देखना होगा कि इस बार की चुनावी परीक्षा में कौन सफल होता है और जनता किसे अपना विश्वास सौंपती है।