डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: विधानसभा चुनाव 2024 में इस बार महिला बहुल सीटों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है। पिछले चुनाव में महिला बहुल सीटें केवल 12 थीं, लेकिन इस बार यह आंकड़ा बढ़कर 32 हो गया है। इन महिला बहुल क्षेत्रों में जीत हासिल करने के लिए भाजपा और आइएनडीआइए ने अपना पूरा दम खम लगा रखा है। वहीं भाजपा के लिए यह बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि इनमें से अधिकतर सीटों पर वर्तमान में आइएनडीआइए का कब्जा है। इनमें से अधिकांश सीटें अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के अंतर्गत आती हैं, जो भाजपा के लिए हमेशा से चुनौतीपूर्ण रही हैं।
आइएनडीआइए और भाजपा के बीच महिला वोटरों को लुभाने की होड़
महिला बहुल सीटों की संख्या बढ़ने के साथ ही हेमंत सरकार ने महिला मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए मुख्यमंत्री मइया सम्मान योजना की राशि 1,000 रुपये से बढ़ाकर 2,500 रुपये करने की घोषणा की है। वहीं, भाजपा ने इसका काट “गोगो दीदी” योजना की घोषणा से देने की कोशिश की है। इसी तरह, आजसू पार्टी ने भी अपने घोषणा पत्र में महिलाओं के लिए विशेष योजनाओं का जिक्र किया है, ताकि महिला मतदाताओं को साधा जा सके।
भाजपा पर पिछली हार का दबाव
पिछले विधानसभा चुनाव में जिन 12 महिला बहुल सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था, उनमें पोटका और सिमडेगा जैसी सीटें शामिल हैं, जो लंबे समय से भाजपा के कब्जे में थीं। पोटका से भाजपा की मेनका सरकार लगातार जीत हासिल कर रही थीं, लेकिन पिछली बार वह अपनी सीट नहीं बचा पाईं। सिमडेगा में भी पार्टी ने उम्मीदवार बदलने का निर्णय लिया था, लेकिन कांग्रेस के भूषण बाड़ा ने भाजपा के श्रद्धानंद बेसरा को सिर्फ 285 वोट से हराकर सबसे छोटी जीत-हार का अंतर स्थापित किया था। इस बार इन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस फिर से आमने-सामने हैं।
संताल और कोल्हान की महिला बहुल सीटों पर झामुमो का दबदबा
चाईबासा, घाटशिला, खरसावां, मझगांव और मनोहरपुर जैसी सीटों पर भी भाजपा के लिए राह आसान नहीं रही है। पिछले चुनाव में इन सीटों पर झामुमो का कब्जा था, जो अब भी कायम है। चाईबासा में पूर्व आईएएस अधिकारी जेबी तुबिद को हार का सामना करना पड़ा था, वहीं चक्रधरपुर में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा भी चुनाव हार गए थे। इस बार चक्रधरपुर में पूर्व विधायक शशिभूषण सामड भाजपा से चुनावी मैदान में हैं, जो पिछले चुनाव में टिकट न मिलने के कारण झाविमो में चले गए थे।
महिला वोटरों का बढ़ता प्रभाव
झारखंड में कुल 2.60 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें 1.31 करोड़ पुरुष और 1.29 करोड़ महिलाएं हैं। महिला बहुल सीटों की बढ़ती संख्या से महिला मतदाताओं का प्रभाव अब और स्पष्ट दिखाई देने लगा है। महिला बहुल सीटों पर जीत हासिल करना भाजपा और आइएनडीआइए दोनों के लिए कठिन चुनौती होगी।
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