रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (जेएसएससी) द्वारा आयोजित कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल (सीजीएल) परीक्षा 2023 के परिणामों के प्रकाशन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने यह आदेश मंगलवार को जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिका राजेश कुमार और अन्य की ओर से दायर की गई थी, जिसमें परीक्षा का पेपर कथित तौर पर लीक होने की सीबीआई जांच की मांग की गई है।
एफआईआर और जांच के आदेश
चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि जेएसएससी परीक्षा पेपर लीक मामले में परीक्षा संचालन अधिनियम 2023 के तहत एफआईआर दर्ज की जाए। साथ ही पुलिस को जांच कर अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया गया है।
याचिकाकर्ता राजेश कुमार ने बताया कि उन्होंने पहले इस मामले में संबंधित थाने में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अदालत को यह भी बताया गया कि परीक्षा पहले 28 जनवरी 2024 को आयोजित हुई थी, जिसे पेपर लीक के विरोध के चलते रद्द कर दिया गया था। बाद में सितंबर 2024 में परीक्षा दोबारा आयोजित की गई, लेकिन फिर से पेपर लीक की शिकायतें सामने आईं।
एसआईटी जांच पर सवाल
याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य पुलिस द्वारा गठित विशेष जांच टीम (एसआईटी) की जांच पारदर्शी नहीं रही है। अब तक जांच के निष्कर्ष सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। याचिकाकर्ताओं ने मामले की सीबीआई या न्यायिक जांच कराने की मांग की है।
परीक्षा और परिणाम की स्थिति
जेएसएससी सीजीएल परीक्षा 21 और 22 सितंबर 2024 को राज्य के 823 परीक्षा केंद्रों पर आयोजित हुई थी। इसमें 3 लाख 4 हजार 769 अभ्यर्थी शामिल हुए थे। आयोग ने 5 दिसंबर 2024 को इस परीक्षा के आधार पर 2,145 अभ्यर्थियों को शॉर्टलिस्ट किया, जिनका डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन 16 से 20 दिसंबर 2024 तक प्रस्तावित था।
आगे की प्रक्रिया पर रोक
हाईकोर्ट के आदेश के बाद जेएसएससी सीजीएल परीक्षा 2023 के परिणामों पर रोक लगा दी गई है। अब परिणाम और दस्तावेज सत्यापन प्रक्रिया को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। मामले की अगली सुनवाई में आगे की दिशा तय होने की उम्मीद है।
छात्रों में नाराजगी
परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों ने लगातार पेपर लीक और निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया है। छात्रों का कहना है कि परीक्षा प्रक्रिया में बार-बार खामियों से उनकी मेहनत और भविष्य पर सवाल खड़ा हो रहा है।
अब देखना होगा कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस विवादास्पद मामले में जांच किस दिशा में जाती है।