डिजिटल डेस्क/रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने लातेहार जिले में पुलिस हिरासत में एक नाबालिग बच्चे की बेरहमी से पिटाई के गंभीर आरोपों का स्वतः संज्ञान लिया है। इस मामले में हिरासत में यातना और रिश्वत के आरोपों के बाद, अदालत ने राज्य सरकार से विस्तृत जवाब मांगा है।
जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मामले को तब उठाया जब इसे शुरू में एक आपराधिक रिट याचिका के रूप में दायर किया गया था। आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, अदालत ने बाद में इसे स्वतः संज्ञान मामले में बदल दिया। इस मामले की अगली सुनवाई 24 जून को होगी।
यह मामला लातेहार के महुआडांड़ थाना क्षेत्र के हामी गांव निवासी 15 वर्षीय दुर्गेश महतो की संदिग्ध मौत से जुड़ा है। दुर्गेश का शव एक अप्रैल को एक गिरे हुए बिजली के तार के पास एक खेत में मिला था। जहां स्थानीय लोगों ने शुरू में उसकी मौत का कारण बिजली का करंट बताया, वहीं उसकी मां, मनु देवी ने शिकायत दर्ज कराई कि उसके बेटे पर तीन-चार लोगों ने हमला किया था, जिससे उसकी मौत हुई।
मनु देवी ने यह भी दावा किया कि एक अन्य नाबालिग की मां, सावित्री देवी ने पहले दुर्गेश को धमकी दी थी कि वह सुधर जाए या परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे। इन आरोपों के बाद, पुलिस ने सावित्री देवी के नाबालिग बेटे को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया।
हाईकोर्ट में दायर एक रिट याचिका में, सावित्री देवी ने आरोप लगाया कि उनके बेटे को अवैध रूप से हिरासत में रखा गया और केवल संदेह के आधार पर दो दिनों तक शारीरिक यातना दी गई। तीसरे दिन, जब वह उसे रिहा कराने के लिए पुलिस स्टेशन पहुंचीं, तो थाना प्रभारी बादल दास ने कथित तौर पर 2.5 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की। जब उन्होंने रिश्वत देने से इनकार कर दिया, तो उनके बेटे पर कथित तौर पर फिर से हमला किया गया। अदालत ने राज्य सरकार को घटनाओं के क्रम और अब तक की गई कार्रवाई के संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।