झारखंड शराब घोटाला: ओम साईं ब्रिवरीज के दो निदेशक 14 दिन की न्यायिक हिरासत में, अब तक 10 गिरफ्तारियां

Manju
By Manju
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डिजिटल डेस्क/ रांची: झारखंड शराब घोटाले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने बड़ी कार्रवाई करते हुए छत्तीसगढ़ की शराब आपूर्ति कंपनी ओम साईं ब्रिवरीज प्राइवेट लिमिटेड के दो निदेशकों अतुल कुमार सिंह और मुकेश मनचंदा को गिरफ्तार कर लिया है। 7 जुलाई 2025 को गहन पूछताछ के बाद गिरफ्तार किए गए इन दोनों आरोपियों को 8 जुलाई 2025 को रांची की विशेष एसीबी अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा भेज दिया गया है। इस गिरफ्तारी के साथ ही इस घोटाले में अब तक कुल 10 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। कंपनी पर आरोप है कि उसने नियमों का उल्लंघन कर शराब की आपूर्ति की और अधिकारियों को कमीशन देकर अवैध लाभ कमाया।

झारखंड में 2022 की उत्पाद नीति के तहत हुए इस शराब घोटाले की जांच में एसीबी ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है। सोमवार 7 जुलाई 2025 को ओम साईं ब्रिवरीज प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अतुल कुमार सिंह और मुकेश मनचंदा को पूछताछ के लिए रांची बुलाया गया था। लंबी पूछताछ के बाद देर शाम उनकी गिरफ्तारी हुई।

इस मामले में अब तक गिरफ्तार किए गए अन्य प्रमुख आरोपियों में उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के पूर्व प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे, संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह, पूर्व महाप्रबंधक वित्त सुधीर कुमार दास, पूर्व महाप्रबंधक वित्त सह अभियान सुधीर कुमार, प्लेसमेंट एजेंसी मार्शन के प्रतिनिधि नीरज कुमार सिंह, पूर्व उत्पाद आयुक्त अमित प्रकाश, छत्तीसगढ़ के शराब कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया और प्रिज्म होलोग्राफी के प्रबंध निदेशक विधु गुप्ता शामिल हैं। सभी आरोपी न्यायिक हिरासत में बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद हैं।

सिद्धार्थ सिंघानिया और विधु गुप्ता की अहम भूमिका

जांच में सामने आया है कि मई 2022 में तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे के कार्यकाल में लागू हुई नई उत्पाद नीति ने छत्तीसगढ़ के कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया को झारखंड के शराब कारोबार में प्रवेश का अवसर दिया। सिंघानिया पर आरोप है कि उन्होंने नीति में अपने अनुकूल बदलाव करवाए और छत्तीसगढ़ की शराब आपूर्ति कंपनियों, जिनमें श्री ओम साईं ब्रिवरीज भी शामिल थी, को झारखंड में कारोबार का मौका दिलाया। इस कंपनी ने नियमों का उल्लंघन कर शराब की आपूर्ति की और अधिकारियों को कमीशन देकर अवैध लाभ कमाया। वहीं प्रिज्म होलोग्राफी के एमडी विधु गुप्ता ने फर्जी होलोग्राम की सप्लाई कर इस घोटाले को बढ़ावा दिया, जिससे सरकार को 38 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व नुकसान हुआ। सिद्धार्थ सिंघानिया और विधु गुप्ता की गिरफ्तारी के बाद एसीबी को इस संगठित नेटवर्क की और परतें खोलने में मदद मिली, जिसके बाद ओम साईं ब्रिवरीज के निदेशकों पर शिकंजा कसा गया।

छत्तीसगढ़ से और खुलासों की उम्मीद

एसीबी की जांच में यह बात सामने आई है कि यह घोटाला छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले से प्रेरित था, जिसमें सिद्धार्थ सिंघानिया और अन्य कारोबारियों ने एक संगठित नेटवर्क के जरिए अवैध कारोबार को अंजाम दिया था। अतुल कुमार सिंह और मुकेश मनचंदा से पूछताछ में और भी बड़े नाम सामने आने की संभावना है। एसीबी ने अब तक 27 लोगों को समन जारी किया है और सात अन्य आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी प्राप्त किया है।

जांच में फर्जी बैंक गारंटी, एमआरपी से अधिक वसूली और एक खास बीयर कंपनी को लाभ पहुंचाने जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार, यह घोटाला 70 करोड़ रुपये से अधिक का हो सकता है, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग का भी गहरा शक है। 8 जुलाई तक अतुल कुमार सिंह और मुकेश मनचंदा को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है और एसीबी इस मामले में और गिरफ्तारियां करने की तैयारी में है। उत्पाद सचिव मनोज कुमार को भी पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया गया है, जिन पर अवैध वसूली और फर्जी बैंक गारंटी को संरक्षण देने का आरोप है।

इस घोटाले को उजागर करने में दो आईएएस अधिकारियों, करण सत्यार्थी और फैज अक अहमद, ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और उन्हें गवाह के तौर पर पूछताछ के लिए बुलाया गया है। झारखंड में शराब दुकानों का ऑडिट भी तेजी से चल रहा है। इस बीच, नई व्यवस्था लागू होने तक शराब दुकानों की देखरेख गृह रक्षकों के जिम्मे सौंपी गई है।

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