कोरोना एक बार फिर एशिया के कुछ हिस्सों में दस्तक दे रहा है। सिंगापुर, थाईलैंड और हांग-कांग के अलावा चीन में भी पिछले कुछ महीनों में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। हेल्थ एक्सपर्ट्स कोरोना के मामलों में तेज़ी से होती वृद्धि के लिए कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट के सबवैरिएंट जेएन.1 को ज़िम्मेदार बता रहे हैं। भारत में स्थिति को नियंत्रण में बताया जा रहा है। हालांकि, भारत में पिछले एक साल में सबसे अधिक 257 सक्रिय केस दर्ज किए गए हैं, जिससे लोगों में हलचल तेज हो गई है।

भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के डैशबोर्ड के अनुसार भारत में फिलहाल कोरोना वायरस के 257 एक्टिव मामले हैं। इनमें से 53 मामले मुंबई में हैं। महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक जनवरी 2025 से अब तक 6,066 स्वैब सैंपल की जांच की गई, जिनमें से 106 लोग कोविड पॉजिटिव पाए गए। इनमें से 101 मामले अकेले मुंबई से हैं, जबकि पुणे, ठाणे और कोल्हापुर में भी कुछ मामले सामने आए। वर्तमान में 52 मरीजों का इलाज चल रहा है, जिनमें ज्यादातर के लक्षण हल्के हैं। इनमें से 16 मरीज अस्पताल में भर्ती हैं। मुंबई के KEM अस्पताल में दो मौतें हुईं, लेकिन दोनों मरीज पहले से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे। एक 14 साल की लड़की को किडनी की बीमारी थी, जबकि दूसरा 59 साल का कैंसर मरीज था।
केरल में क्या है हाल?
केरल में कोविड-19 के 69 सक्रिय मामले हैं, जो देश में सबसे ज्यादा हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार यह राज्य कोविड की नई लहर का केंद्र बना हुआ है। केरल में पहले भी कोविड की कई लहरें देखी गई हैं और इस बार जेएन.1 वेरिएंट के कारण मामले बढ़ रहे हैं। दिसंबर 2024 में केरल में जेएन.1 का पहला मामला एक 79 साल की महिला में मिला था। राज्य सरकार ने टेस्टिंग और निगरानी बढ़ा दी है। लोगों से भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनने और वैक्सीन की बूस्टर डोज लेने की सलाह दी जा रही है। केरल में कोविड की शुरुआत 30 जनवरी 2020 को हुई थी, जब देश का पहला मामला त्रिशूर में दर्ज हुआ था।
दिल्ली में पिछले सात दिनों में 3 कोविड पॉजिटिव
दिल्ली में अभी 5 मामले एक्टिव बता रहे हैं, लेकिन इनमें से 3 मामले 12 मई के बाद आए हैं। सबसे अधिक मामले केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु से आ रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय और ICMR की समीक्षा में कहा गया है कि अधिकांश मामले हल्के हैं। अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ रही है। फिलहाल कोई पैनिक की स्थिति नहीं है, लेकिन निगरानी बढ़ा दी गई है।
क्या है विशेषज्ञों की राय?
एम्स के एक्सपर्ट डॉ संजय रॉय का कहना है कि JN-1 एक साल पुराना वेरिएंट है, कोई नया वायरस नहीं है। न ही यह कोई नया स्ट्रेन है। पॉजिटिव केस इसलिए सामने आ रहे हैं क्योंकि टेस्ट किए जा रहे हैं। मौजूदा हालात में JN.1 को लेकर घबराने वाली बात नहीं है। अभी तक इसको लेकर साइंस यही कहता है कि यह कॉमन कोल्ड है, इससे ज्यादा कुछ नहीं। संजय राय कहते हैं, कॉमन कोल्ड भी कोरोना वायरस ही है यानी उसी फ़ैमिली का है। कोरोना वायरस की हज़ारों फ़ैमिली है, लेकिन इंसानों में केवल सात फ़ैमिली ही समस्या पैदा करती है, जिनमें से चार पहले से मौजूद थे, जो कॉमन कोल्ड से जुड़े हुए थे। इसके बाद 2003-04 में चीन से ही सार्स-1आया था। 2012-13 में मिडिल ईस्ट से मर्स (मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम) आया था। इसके बाद साल 2019 में कोरोना वायरस-2 आया था, जिसे हम कोविड-19 बीमारी कहते हैं।
संजय राय के मुताबिक अगर सामान्य सर्दी ज़ुकाम भी किसी एक को होता है तो उनके घर में सबको हो सकता है, लेकिन यह इतना गंभीर नहीं होता है कि किसी की मौत हो सकती है, कोरोना भी इसी तरह का हो चुका है। स्वास्थ्य मंत्रालय का भी कहना है कि स्थिति नियंत्रण में है।
जेएन.1 क्या है?
- जेएन.1, ओमिक्रॉन के BA.2.86 फैमिली का एक नया वैरिएंट है। इसे अगस्त 2023 में पहली बार पहचाना गया था।
- इसमें करीब 30 बदलाव (म्यूटेशन) हो चुके हैं, जो इसे शरीर की इम्युनिटी से बचाने में मदद करते हैं।
- विदेशी वैज्ञानिकों का दावा है कि इसके स्पाइक प्रोटीन में एक महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है, जो इसे पहले से अधिक संक्रामक बनाता है।
- BA.2.86 जहां ज्यादा नहीं फैला था, वहीं जेएन.1 दुनियाभर में तेजी से फैल रहा है और कई देशों में इसके क्लस्टर सामने आ चुके हैं।