Homeपर्व -त्यौहारआज कार्तिक पूर्णिमा : जाने स्नान, दान और पूजा का महात्म्य

आज कार्तिक पूर्णिमा : जाने स्नान, दान और पूजा का महात्म्य


कार्तिक पूर्णिमा का दिन भारतीय संस्कृति में अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। इस दिन स्नान, दीपदान और व्रत का विशेष महत्त्व है। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है। यह दिन उन लोगों के लिए अत्यधिक फलदायी माना गया है जो अपने जीवन के कष्टों से मुक्ति और ईश्वर की कृपा की कामना करते हैं।

इस साल का शुभ मुहूर्त


वर्ष 2024 में कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर को पड़ रही है, जो शुक्रवार का दिन है। इस दिन का शुभारंभ सुबह 6:19 बजे से होगा और अगले दिन 16 नवंबर को सुबह 2:58 बजे तक रहेगा। इस दौरान स्नान, दान, उपवास और पूजा-पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

स्नान का विशेष महत्त्व


कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदियों, विशेषकर गंगा, यमुना, नर्मदा जैसी नदियों में स्नान करने से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो व्यक्ति के सभी पापों को दूर करता है। यदि पवित्र नदी में स्नान संभव न हो, तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान भी पुण्यदायी माना गया है।

पौराणिक कथा और त्रिपुरारी भगवान शिव


इस दिन के साथ एक प्राचीन पौराणिक कथा जुड़ी है। कथा के अनुसार, त्रिपुरासुर नामक तीन राक्षस भाइयों—तारकक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली—ने अपने पिता तारकासुर की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने उन्हें वरदान दिया कि उनके बनाए हुए तीन नगर (त्रिपुर) एक साथ एक सीध में हों, तब ही उनका अंत हो सकेगा। इन नगरों में तारकक्ष के लिए सोने का, कमलाक्ष के लिए चांदी का, और विद्युन्माली के लिए लोहे का नगर बना।

इन राक्षसों के अत्याचार से त्रस्त होकर देवताओं ने भगवान शिव की शरण ली। भगवान शिव ने त्रिपुरों के नाश के लिए एक दिव्य रथ बनाया जिसमें सूर्य और चंद्रमा के पहिए, देवताओं के घोड़े, शेषनाग की प्रत्यंचा और हिमालय का धनुष था। भगवान शिव ने इस रथ पर सवार होकर इन तीनों राक्षसों का अंत कर दिया और इस विजय के कारण उन्हें “त्रिपुरारी” कहा गया।

पूजा और व्रत का महत्त्व


कार्तिक पूर्णिमा के दिन व्रत रखने और कथा का पाठ करने से भगवान शिव और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन महादेव और मां लक्ष्मी की पूजा से व्यक्ति को सुख-समृद्धि और धन-धान्य का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही, इस दिन दीए जलाने का भी विशेष महत्त्व है, जो जीवन में उजाला और समृद्धि का प्रतीक माना गया है।

KK Sagar
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