बिहार सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर भूमि सर्वेक्षण का कार्य किया जा रहा है, जिसके तहत सभी प्रकार की जमीनों का सर्वे किया जा रहा है। इसमें सबसे अधिक जटिलता पुश्तैनी जमीन के सर्वेक्षण को लेकर सामने आ रही है। पुश्तैनी जमीन, जिसे खतियानी या मरोसी जमीन भी कहा जाता है, के सर्वे के दौरान कई प्रकार की दावेदारी सामने आती हैं। खासकर, जब जमीन मालिक की मृत्यु हो जाती है, तब उनके वारिसों के बीच बंटवारे को लेकर विवाद उत्पन्न हो जाता है।
अब सरकार ने पुश्तैनी जमीन के सर्वे के लिए एक स्पष्ट प्रक्रिया तय की है, जिससे हर वारिस को उसका हक मिल सके और जमीन का स्पष्ट रिकॉर्ड तैयार किया जा सके।
पुश्तैनी जमीन का सर्वे करने की प्रक्रिया
भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग ने स्पष्ट किया है कि पुश्तैनी जमीन के सर्वे के दौरान मृत रैयत (मूल मालिक) के सभी कानूनी वारिसों को समान अवसर दिया जाएगा। इस प्रक्रिया के तहत वे अपनी पुश्तैनी संपत्ति का बंटवारा करवा सकते हैं और सभी वारिसों के नाम से अलग-अलग खतियान तैयार किया जा सकता है।
इसके लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाएगी:
1. पारिवारिक जमीन का शेड्यूल बनाना
- पुश्तैनी जमीन के सर्वे के लिए सबसे पहले परिवार के सभी वारिसों को मिलकर अपनी जमीन का एक शेड्यूल तैयार करना होगा।
- इस शेड्यूल में यह स्पष्ट रूप से दर्ज होना चाहिए कि किस हिस्से पर कौन सा वारिस दावा कर रहा है।
- इस शेड्यूल पर परिवार के सभी पक्षों (वारिसों) के हस्ताक्षर अनिवार्य होंगे।
2. आवश्यक दस्तावेजों की प्रस्तुति
सर्वे के दौरान रैयतों (वारिसों) को निम्नलिखित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे:
- भूमि से संबंधित दस्तावेज:
- मूल खतियान
- केवाला (रजिस्ट्री दस्तावेज)
- किसी अन्य माध्यम से अर्जित जमीन से जुड़े कागजात
- वारिस प्रमाणपत्र:
- मृत रैयत के वारिसों को अपने संबंध साबित करने के लिए वंशावली प्रस्तुत करनी होगी।
- वारिसों को अपने आधार कार्ड, पहचान पत्र और अन्य वैध प्रमाणपत्र भी जमा करने होंगे।
- समझौता पत्र:
- वारिसों के बीच यदि कोई बंटवारा हो चुका है, तो उसका लिखित समझौता पत्र प्रस्तुत करना होगा।
- इस समझौता पत्र पर सभी वारिसों के हस्ताक्षर होने आवश्यक हैं।
3. आपत्ति न होने पर सर्वे की प्रक्रिया
- अगर वारिसों द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों पर कोई आपत्ति नहीं आती है, तो सर्वे किया जाएगा और सभी वारिसों के नाम से अलग-अलग खतियान तैयार कर दिया जाएगा।
- लेकिन अगर किसी वारिस या अन्य पक्ष की तरफ से आपत्ति दर्ज की जाती है, तो उस जमीन का सर्वे नहीं किया जाएगा और मामला विवादित मान लिया जाएगा।
पुश्तैनी जमीन पर मौखिक बंटवारे का असर
बिहार में अब भी कई परिवार मौखिक बंटवारे को आधार बनाकर अपनी जमीन पर मालिकाना हक रखते हैं। हालांकि, सरकार की नई व्यवस्था के तहत मौखिक बंटवारे को कानूनी रूप से मान्यता नहीं मिलेगी जब तक कि वह दस्तावेजों में दर्ज न हो। इसलिए, सभी वारिसों को मिलकर कानूनी रूप से शेड्यूल बनवाना और उसका सरकारी रिकॉर्ड में पंजीकरण करवाना जरूरी होगा।
क्या होगा अगर समझौता नहीं होता?
अगर किसी परिवार में वारिसों के बीच सहमति नहीं बनती है और कोई एक पक्ष समझौते पर दस्तखत नहीं करता है, तो:
- वह जमीन विवादित मानी जाएगी।
- सर्वेक्षण कार्य स्थगित कर दिया जाएगा और तब तक नहीं किया जाएगा जब तक सभी पक्ष सहमत न हों।
- ऐसे मामलों में परिवार को कोर्ट या अन्य कानूनी माध्यमों से विवाद निपटाने की सलाह दी जाती है।
बिहार में चल रहे भूमि सर्वेक्षण के अंतर्गत पुश्तैनी जमीन के सर्वे को लेकर अब सरकार ने स्पष्ट व्यवस्था बना दी है। यदि कोई परिवार समय रहते आवश्यक दस्तावेज तैयार कर लेता है और आपसी सहमति से शेड्यूल बनाकर समझौता पत्र प्रस्तुत करता है, तो उसकी पुश्तैनी जमीन का सर्वे आसानी से हो जाएगा और सभी वारिसों के नाम से अलग-अलग खतियान बन जाएगा। इससे आगे चलकर किसी भी प्रकार के कानूनी विवाद से बचा जा सकता है और जमीन का स्पष्ट मालिकाना हक सुनिश्चित किया जा सकता है।