महावीर जयंती पर जाने भगवान महावीर के पंचशील सिद्धांत

KK Sagar
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महावीर जयंती जैन धर्म के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है। यह पर्व भगवान महावीर के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे। वर्ष 2025 में महावीर जयंती 10 अप्रैल को मनाई जा रही है। यह दिन चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है।

भगवान महावीर का जीवन:
भगवान महावीर का जन्म लगभग 599 ईसा पूर्व में बिहार के कुंडलपुर (वर्तमान वैशाली के पास) में हुआ था। उनका मूल नाम वर्धमान था। बचपन से ही वे अत्यंत बुद्धिमान, शांत और करुणामयी थे। 30 वर्ष की आयु में उन्होंने राजपाठ त्यागकर दीक्षा ली और 12 वर्षों की कठिन तपस्या के बाद उन्हें कैवल्य ज्ञान (सर्वज्ञान) प्राप्त हुआ।

भगवान महावीर के पंचशील सिद्धांत (पांच महान व्रत):
भगवान महावीर ने जीवन में संयम, नैतिकता और आत्मशुद्धि को महत्व देते हुए पांच महान सिद्धांतों की शिक्षा दी, जिन्हें “पंच महाव्रत” या “पंचशील सिद्धांत” कहा जाता है। ये सिद्धांत जैन धर्म के मूल स्तंभ हैं:

  1. अहिंसा (Non-Violence):
    • किसी भी जीव—चाहे वह मानव हो, पशु हो या सूक्ष्म जीव—को हानि न पहुंचाना।
    • न तो स्वयं हिंसा करना, न ही दूसरों को करने देना और न ही हिंसा में समर्थन देना।
    • यह सिद्धांत करुणा और प्रेम पर आधारित है।
  2. सत्य (Truth):
    • सदैव सत्य बोलना और झूठ, धोखा, छल आदि से दूर रहना।
    • सत्य केवल शब्दों में नहीं, बल्कि व्यवहार और आचरण में भी होना चाहिए।
  3. अचौर्य (Non-stealing):
    • किसी की वस्तु को उसकी अनुमति के बिना ग्रहण न करना।
    • ईमानदारी से जीवनयापन करना और लालच से दूर रहना।
  4. ब्रह्मचर्य (Celibacy / Chastity):
    • इंद्रियों पर संयम रखना और मानसिक व शारीरिक पवित्रता बनाए रखना।
    • गृहस्थ के लिए यह संयमित जीवन शैली का पालन करना है, जबकि संन्यासियों के लिए यह पूर्ण ब्रह्मचर्य होता है।
  5. अपरिग्रह (Non-possessiveness):
    • भौतिक वस्तुओं, धन-संपत्ति, रिश्तों और भावनाओं के प्रति अत्यधिक मोह न रखना।
    • जितना आवश्यक हो उतना ही संग्रह करना और शेष दूसरों के हित में लगाना।

महावीर जयंती पर विशेष आयोजन:

  • जैन मंदिरों में विशेष पूजन, अभिषेक और भगवान महावीर की शोभायात्रा निकाली जाती है।
  • अनुयायी उपवास रखते हैं, धार्मिक प्रवचन सुनते हैं और जरूरतमंदों को दान देते हैं।
  • मंदिरों में भगवान महावीर की मूर्तियों को स्नान कराकर फूलों व सुगंधित द्रव्यों से सजाया जाता है।

संदेश:
भगवान महावीर की शिक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी उनके समय में थीं। उनके पंचशील सिद्धांत मानवता, करुणा, नैतिकता और आत्मज्ञान की राह दिखाते हैं। महावीर जयंती केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आत्ममंथन और नैतिक जीवन की प्रेरणा का दिन है।

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