मिरर मीडिया : बिजली आज के परिवेश में एक अहम् हिस्सा बन गई है दिनचर्या में इसका उपयोग हर क्षण किया जाता है कहे तो बिना इसके सारी व्यवस्थाएं ठप पड़ जाती है। वहीं बिजली उपभोग के एवज में उपभोक्ता बिजली कंपनी के द्वारा तय किये गए मासिक शुल्क सहित महीने में उपभोग किये गए बिजली का शुल्क अदा करते हैं। पर बिजली की लचर व्यवस्था और अनियमितता कई सारे सवाल खड़े करती है जिसे समाजसेवी कुमार मधुरेंद्र ने बड़ी प्रमुखता से उठाते हुए आमजनों के हित में सरकार को अवगत कराया है।
बता देन कि इस संबंध में कुमार मधुरेंद्र ने प्रधान सचिव झारखंड विधुत वितरण निगम लिमिटेड, झारखंड सरकार , रांची को पत्र के माध्यम से बिजली की मासिक शुल्क में अनियमितता और उपभोक्ता से अतिरिक्त शुल्क लेने के संबंध में लिखा है। उन्होंने उपभोक्ता द्वारा महीने में बिजली उपभोग की गई शुल्क के साथ मासिक शुल्क के बदले मिलने वाली सुविधाएं जैसे आपातकालीन सेवा बहाल करने के लिए या प्रतिष्ठान तक बिजली पहुंचाने का फिक्स चार्ज या मासिक शुल्क लेने में अनियमितता और उपभोक्ता से अतिरिक्त शुल्क लेने की बात कही है जो कहीं से उचित नहीं है।
उन्होंने लिखा है कि झारखंड राज्य में बिजली महीने के 30- 31 दिन या 28-29 दिन का समतुल्य फिक्स चार्ज या मासिक शुल्क अलग से लेते हैं। तो फिर जब मेरे या अन्य कंज्यूमर तक बिजली वितरण होकर पहुंचाती ही नहीं है तो मासिक शुल्क में छूट दी जानी चाहिए पैसा किसे यानि रूपया किसे प्यारा नहीं है। उन्होंने संबंधित विषय पर मुख्यमंत्री झारखंड सरकार एवं कमिटी सदस्य एवं सम्बंधित अधिकारी से वार्ता कर आमजन को राहत दिलवाने की बात कही है। अर्थात जितने घंटे प्रतिदिन बिजली उपलब्ध हो उसके हिसाब से मासिक शुल्क या फिक्स चार्ज लिया जाए।
संतोष बेच, तॄष्णा पाईं है, देखो कितनी मंहगाई हैं, आमजन की पुकार आपतक पहुंचाईं है।