धनबाद: विश्व बाल श्रम प्रतिनिषेध दिवस के अवसर पर जिला धावा दल द्वारा श्रम विभाग के नेतृत्व में एक अहम अभियान चलाया गया। गोविन्दपुर थाना क्षेत्र स्थित शाही मुरादाबादी चिकन बिरयानी की दुकान से तीन नाबालिग श्रमिकों को मुक्त कराया गया। यह अभियान सहायक श्रमायुक्त प्रवीण कुमार के नेतृत्व में चलाया गया।
रेस्क्यू किए गए तीनों बाल श्रमिक बेहद कम मजदूरी पर कार्यरत थे। इन बच्चों में दो जामताड़ा जिले के और एक नवादा (बिहार) जिले का निवासी है। सभी को बाल कल्याण समिति, धनबाद में प्रस्तुत करने के बाद सहयोग विलेज, चास (बोकारो) में आश्रय के लिए भेजा गया।
प्रवीण कुमार ने कहा कि बाल श्रम एक गंभीर अपराध है और इसे जड़ से खत्म करना हम सभी की ज़िम्मेदारी है। उन्होंने बताया कि नियोक्ता पर बाल श्रम निषेध अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। अगर किसी होटल, ढाबा, गैराज या प्रतिष्ठान में बाल श्रमिक पाए जाते हैं, तो उस प्रतिष्ठान के मालिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा। इसके तहत ₹20,000 से ₹50,000 तक जुर्माना और 6 माह से 2 साल तक की सजा या दोनों हो सकती हैं।
झारखंड ग्रामीण विकास ट्रस्ट के निदेशक शंकर रवानी ने बताया कि जून माह को बाल श्रम उन्मूलन अभियान के रूप में चलाया जा रहा है। उनका संगठन बच्चों को बाल श्रम से मुक्त कराने के लिए ज़मीनी स्तर पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य है कि धनबाद जिले को पूरी तरह बाल श्रम से मुक्त घोषित किया जाए। इसके लिए जन-जागरूकता से लेकर रेस्क्यू तक की प्रक्रिया में हम सभी का सहयोग ज़रूरी है।”
इस अभियान में शामिल अन्य प्रमुख सदस्य थे:
नईमुद्दीन अंसारी (जिला समन्वयक)
सीता कुमारी
उत्तम मंडल, मन्नु कुमार, अमन कुमार (श्रम विभाग)
कृपा शंकर महतो (चाइल्ड लाइन)
सुनील कुमार बाउरी, बिनोद कुमार सिंह, दीनानाथ पांडेय, मिथिलेश कुमार साव और अन्य।