कानून सरल, सहज भाषा में लिखे जाएं,लॉ से जुड़े कोर्सेस मातृभाषा में हो : हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण केसेस की डिजिटल लाइब्रेरी स्थानीय भाषा में हो -PM नरेंद्र मोदी

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कानून बनाते वक्त इसकी भाषा बाधा न बने और गरीबों को भी आसानी से समझ आ जाए – PM नरेंद्र मोदी

युवाओं के लिए मातृभाषा में एकेडमिक सिस्टम भी बनाना होगा

मिरर मीडिया : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कानून मंत्रियों और कानून सचिवों के अखिल भारतीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि स्वस्थ समाज के लिए एक मजबूत न्याय व्यवस्था जरूरी है। इतना ही नहीं, कानून मंत्रियों और सचिवों को पीएम मोदी ने मंत्र दिया और कहा कि कानून बनाते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि यह गरीबों को भी आसानी से समझ आ जाए। किसी भी आम नागरिक के लिए कानून की भाषा बाधा न बने, इसका ख्याल रखना चाहिए।

लोक अदालत को लेकर उन्होंने कहा कि देश में त्वरित न्याय का एक और माध्यम लोक अदालतें भी बनी हैं। कई राज्यों में इसे लेकर बहुत अच्छा काम भी हुआ है. लोक अदालतों के माध्यम से देश में बीते वर्षों में लाखों केसों को सुलझाया गया है। कानून बनाते हुए हमारा फोकस होना चाहिए कि गरीब से गरीब भी नए बनने वाले कानून को अच्छी तरह समझ पाएं। किसी भी नागरिक के लिए कानून की भाषा बाधा न बने, हर राज्य इसके लिए भी काम करे, इसके लिए हमें लॉजिस्टिक और इंफ्रास्ट्रक्चर का सपोर्ट भी चाहिए होगा।

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि युवाओं के लिए मातृभाषा में एकेडमिक सिस्टम भी बनाना होगा, लॉ से जुड़े कोर्सेस मातृभाषा में हो, हमारे कानून सरल, सहज भाषा में लिखे जाएं, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण केसेस की डिजिटल लाइब्रेरी स्थानीय भाषा में हो, इसके लिए हमें काम करना होगा। उन्होंने आगे कहा कि टेक्नोलॉजी किस तरह आज न्याय व्यवस्था का अभिन्न अंग बन गई है, यह हमने कोरोना काल में भी देखा। आज देश में ई-कोर्ट्स मिशन तेजी से आगे बढ़ रहा है।

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