विश्व बालश्रम निषेध दिवस पर जागरूकता शिविर का आयोजन कर बच्चों को दी गई कानूनी जानकारी

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14 वर्ष से कम उम्र के बच्चे को कल कारखाने या उद्योग में कार्य कराने की अनुमति नहीं देता है संविधान

मिरर मीडिया : विश्व बालश्रम निषेध दिवस पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा रविवार को हिरापुर स्थित हिन्दू मिशन में सह पूर्वी टुंडी के रामपुर गांव में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें बच्चों को विभिन्न कानूनों के विषय में जानकारी दी गई। इस बाबत डालसा के पैनल अधिवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि बाल श्रम को समाप्त करने के लिए सार्वभौमिक सामाजिक संरक्षण की जरूरत है।

जबकि पैनल अधिवक्ता कुमार विमलेंदु ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 खतरनाक उद्योगों में बच्चों के रोजगार पर प्रतिबंध लगाता है। संविधान, का अनुच्छेद 24 स्पष्ट करता है कि 14 वर्ष से कम उम्र के किसी भी बच्चे को ऐसे कार्य या कारखाने इत्यादि में नहीं रखा जा सकता। कारखाना अधिनियम, बाल अधिनियम, बाल श्रम निरोधक अधिनियम ऐसे कई कानून है जो बच्चों के अधिकार को सुरक्षा देते हैं। पीएलवी  अजीत दास ने कहा कि भारतवर्ष में प्रारंभ से ही बच्चों को ईश्वर का रूप माना जाता है। ईश्वर के बाल रूप यथा ‘बाल गणेश’, ‘बाल गोपाल’, ‘बाल कृष्णा’, ‘बाल हनुमान’ आदि इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।

पीएलवी सौरव जयसवाल ने बच्चों को अवैध खनन जैसे कार्य से दूर रहने की सलाह दी और उसके परिणामों और गंभीरता के विषय में बताया। पीएलवी गीता कुमारी ने बताया कि विश्व बालश्रम निषेध दिवस को मनाए जाने का उद्देश्य लोगों को 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से श्रम न कराकर उन्हें शिक्षा दिलाने के लिए जागरूक करना है। इस मौके पर बच्चों के बीच कॉपी, किताब ,पेंसिल ,चॉकलेट का वितरण किया गया। मौके पर पीएलवी ओमप्रकाश दास, संस्था के वार्डन प्राण नाथ, सपन रक्षित समेत अन्य लोग उपस्थित थे।

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