मिरर मीडिया : भारतवर्ष में पूरे धूमधाम से आज भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। भक्त बड़े ही हर्षोल्लास से भगवान के रथ यात्रा में भाग लेते हैं। आपको बता दें कि भगवान जगन्नाथ की इस वर्ष 146वीं रथयात्रा निकाली जा रही है।
ओडिशा में स्थित पुरी शहर में लाखों लोगों की भीड़ उमड़ी हुई है। यह मंदिर भगवान श्री हरि के अवतरा श्रीकृष्ण को समर्पित है। इनकी पूजा पूरे साल गर्भगृह में होती है। लेकिन आषाढ़ माह में तीन किलोमीटर की आलौकि और अद्भुत रथ यात्रा के जरीए इन्हें गुंडीचा मंदिर लाया जाता है।
गौरतलब है कि हिंदू धर्म में आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा संग अपनी मौसी के घर जाते हैं। रथ यात्रा पुरी के जगन्नाथ से तीन दिव्य रथों में निकाली जाती है। सबसे आगे भगवान बलभद्र, उनके पीछे बहन सुभद्रा और सबसे पीछे जगन्नाथ जी का रथ होता है। इसका समापन दिनांक 1 जुलाई को होगा
पद्मपुराण के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ की बहन ने एक बार नगर देखने की इच्छा जताई थी। तब भगवान जगन्नाथ और बलभद्र अपनी लाडली बहन सुभद्र को रथ पर बैठाकर नगर दिखाने के लिए निकल पड़े थे। तब इस दौरान वे मौसी के घर गुंडिचा भी गए और यहां पर सात दिन तक ठहरे। तभी से भगवान जगन्नाथ यात्रा निकालने की परंपरा चली आ रही है।
वहीं इसके इतर ऐसी भी मान्यता है कि मौसी के घर पर भाई-बहन के साथ भगवान खूब पकवान खाते हैं और उसके बाद वह बीमार पड़ जाते हैं। फिर उनका इलाज किया जाता है और फिर वह स्वस्थ्य होने के बाद लोगों को दर्शन देते हैं।