जमशेदपुर : टाटा स्टील के खिलाफ पहली बार माझी परगना महाल ने आंदोलन का ऐलान किया है। तोरोप परगना के दशमत हांसदा ने कहा कि अगर कंपनी प्रबंधन ने पांच दिन के अंदर हमारे साथ सकारात्मक वार्ता नहीं की, तो 13 दिसंबर काे टाटा स्टील के जेनरल आफिस गेट का हुड़का जाम कर दिया जाएगा।
सर्किट हाउस एरिया स्थित निर्मल (स्वर्णरेखा) गेस्ट हाउस में बुधवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में हांसदा ने कहा कि टाटा स्टील को स्थापित हुए करीब 114 वर्ष हो गए, लेकिन इस बीच कभी भी आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के लोगों ने कंपनी के खिलाफ एक शब्द नहीं कहा। हम सहते आए हैं। टाटा स्टील कंपनी हमारी ही जमीन पर कंपनी शुरू करके आज दुनिया भर में डंका बजा रही है, लेकिन हम वहीं के वहीं रह गए। कंपनी आदिवासियों के नाम पर सीएसआर के तहत खर्च करने की बात कहती है, लेकिन धरातल पर हमें नहीं दिखता है। कंपनी भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर 15 नवंबर को प्रतिवर्ष विश्व जनजातीय सम्मेलन ‘संवाद’ करती है, जिसमें करोड़ों रुपये उड़ाती है। कंपनी यह अपनी ब्रांडिंग के लिए करती है, लेकिन हम 13 दिसंबर को अपने आंदोलन के माध्यम से दुनिया को बताएंगे कि टाटा स्टील क्या करती है।
दशमत हांसदा ने कहा कि टाटा स्टील में आज कितने आदिवासी काम करते हैं। शहर के टॉप-25 स्कूल में एक प्रतिशत भी आदिवासी छात्र नहीं पढ़ते हैं। टाटा स्टील के ट्रेड अप्रेंटिस में कितने आदिवासी छात्र हैं, कंपनी बताए। कंपनी कहती है कि आदिवासी छात्र तकनीकी रूप से स्किल्ड नहीं हैं, इसलिए हम बाहरी को लेते हैं। मेरा सवाल यही है कि आपने 114 वर्ष में आदिवासियों को शिक्षित और तकनीकी रूप से दक्ष बनाने के लिए क्या किया। कंपनी अपना सोशल आडिट क्यों नहीं कराती है। कंपनी कभी यह नहीं बताती है कि सीएसआर के नाम पर किस मद में कितनी राशि खर्च करती है। आखिर क्यों।

