पहले भी विवादों में फंस चुके हैं हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कई न्यायाधीश : महाभियोग से लेकर जेल तक: जब जजों पर लगे गंभीर आरोप

KK Sagar
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दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा पर बड़ा विवाद, सरकारी आवास से अधजले नोट मिलने के बाद जांच शुरू

दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा गंभीर विवादों में घिर गए हैं। उनके सरकारी आवास से बेहिसाब अधजले नोट मिलने के बाद उन पर जांच शुरू हो गई है। इस मामले के सामने आते ही उनसे सभी न्यायिक कार्य वापस ले लिए गए हैं और उन्हें मूल कोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट स्थानांतरित कर दिया गया है

हालांकि, इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा कर दी है। बार एसोसिएशन ने कोलेजियम के इस फैसले का कड़ा विरोध जताया है।

पहले भी विवादों में रहे हैं न्यायाधीश

यह पहली बार नहीं है जब किसी न्यायाधीश पर गंभीर आरोप लगे हों। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कई न्यायाधीशों पर विवादों के आरोप लग चुके हैं

1. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस वी. रामास्वामी (1993)

  • भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरने के बाद उनके खिलाफ महाभियोग लाया गया था।
  • हालांकि, लोकसभा में प्रस्ताव दो तिहाई बहुमत हासिल नहीं कर पाया।

2. पूर्व CJI रंजन गोगोई (2019)

  • सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व कर्मचारी ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे।
  • इन-हाउस जांच में क्लीन चिट मिली, लेकिन पारदर्शिता की कमी को लेकर विवाद हुआ।
  • सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद राज्यसभा सांसद बनाए जाने पर भी सवाल उठे।

3. जस्टिस सौमित्र सेन (2011)

  • कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश पर आर्थिक दुरुपयोग के आरोप लगे थे।
  • राज्यसभा में महाभियोग शुरू हुआ, लेकिन उन्होंने इस्तीफा देकर कार्यवाही टाल दी

4. जस्टिस नागार्जुन रेड्डी (2016)

  • आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हाईकोर्ट के जज पर दलित जज को टारगेट करने के आरोप लगे थे।
  • राज्यसभा के 61 सदस्यों ने महाभियोग प्रस्ताव दिया, लेकिन बाद में नौ सदस्यों ने समर्थन वापस ले लिया।

5. जस्टिस सीएस कर्नन (2017)

  • कलकत्ता हाईकोर्ट के जज ने न्यायपालिका पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।
  • उन्हें छह महीने की जेल हुई, जो पहली बार किसी हाईकोर्ट के वर्तमान जज को हुई सजा थी।

6. जस्टिस जेबी पारदीवाला (2015)

  • गुजरात हाईकोर्ट के जज ने आरक्षण के खिलाफ टिप्पणी की थी।
  • राज्यसभा के 58 सांसदों ने महाभियोग का नोटिस दिया, लेकिन उन्होंने अपनी टिप्पणी वापस ले ली

7. जस्टिस भक्तवत्सल (2012)

  • कर्नाटक हाईकोर्ट के जज ने घरेलू हिंसा के मामले में विवादास्पद टिप्पणी की थी।

8. जस्टिस मार्कंडेय काटजू (2015)

  • सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज ब्लॉग पर टिप्पणी करने के कारण विवाद में आए थे।

9. जस्टिस अरुण मिश्रा (2020)

  • अपने पद पर रहते हुए प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ कर दी थी, जिससे न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठे।

10. पूर्व CJI दीपक मिश्रा (2018)

  • विपक्षी दलों ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया था, लेकिन खारिज कर दिया गया।
  • उनका नाम प्रसाद मेडिकल कॉलेज घोटाले में भी उछला था।

11. सुप्रीम कोर्ट के चार जजों की ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस (2018)

  • जस्टिस जे. चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, मदन लोकुर और कुरियन जोसेफ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया था कि
    सरकार के पक्ष में केस आवंटन में गड़बड़ी होती है

क्या होगा जस्टिस यशवंत वर्मा का भविष्य?

अब सवाल उठ रहा है कि क्या जस्टिस यशवंत वर्मा पर भी कोई कठोर कार्रवाई होगी या मामला दब जाएगा? बार एसोसिएशन के विरोध और हाईकोर्ट के भीतर मचे हलचल के बीच, यह मामला आगे और तूल पकड़ सकता है।

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