पंचकूला में कर्ज से टूटे परिवार की सामूहिक आत्महत्या, 7 की मौत, जमशेदपुर की घटना की याद ताजा, आत्महत्या नहीं, जिंदगी से जूझें

Manju
By Manju
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डिजिटल डेस्क/जमशेदपुर : हरियाणा के पंचकूला में कर्ज के बोझ तले दबे एक परिवार के सात लोगों ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली, जिसने समाज को झकझोर दिया। यह घटना जीवन की चुनौतियों से हार न मानने और आत्महत्या जैसे कायरतापूर्ण कदम से बचने की चेतावनी देती है। इस त्रासदी ने हाल ही में जमशेदपुर में कैंसर से पीड़ित टाटा स्टील इंजीनियर और उनके परिवार की आत्महत्या की याद दिला दी। आखिर जिंदगी से भागना समाधान नहीं, हर रात की सुबह होती है।

पंचकूला के सेक्टर-27 में सोमवार रात करीब 11 बजे पुलिस को डायल 112 पर सूचना मिली कि मकान नंबर 1204 के बाहर खड़ी गाड़ी में छह लोग तड़प रहे हैं। पुलिस की ईआरवी टीम ने उन्हें सेक्टर-26 के ओजस अस्पताल पहुंचाया, जबकि सातवां व्यक्ति घर के बाहर तड़पता मिला, जिसे सेक्टर-6 के नागरिक अस्पताल ले जाया गया। अफसोस, सभी सात की मौत हो गई। मृतकों में प्रवीन मित्तल, उनके माता-पिता, पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा शामिल हैं।

प्रारंभिक जांच में पता चला कि उत्तराखंड के इस परिवार ने देहरादून में टूर एंड ट्रैवल्स का व्यवसाय शुरू किया था, जो घाटे में चला गया। भारी कर्ज और आर्थिक तंगी ने उन्हें इस कदम तक पहुंचाया। सुसाइड नोट में कर्ज को मुख्य कारण बताया गया।

जमशेदपुर में हाल ही में शुक्रवार रात चित्रगुप्त नगर में टाटा स्टील के मैनेजर कृष्ण कुमार (40), उनकी पत्नी डॉली देवी (35) और दो बेटियों, पिंकी (15) व मैनिया (7) ने फांसी लगाकर आत्महत्या की थी। तृतीय चरण के कैंसर से जूझ रहे कृष्ण ने मुंबई के टाटा मेमोरियल अस्पताल में इलाज के बाद जमशेदपुर में कीमोथेरेपी शुरू की थी। बीमारी और डिप्रेशन ने उन्हें निराशा के गर्त में धकेल दिया। पड़ोसियों के अनुसार, परिवार महीनों से तनाव में था।

ये घटनाएं समाज के लिए चेतावनी हैं। कर्ज हो या बीमारी, आत्महत्या कोई हल नहीं। मनोवैज्ञानिक सहायता, परिवार का साथ और सरकारी योजनाएं मुश्किल वक्त में रास्ता दिखा सकती हैं। प्रशासन को आर्थिक तंगी और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जागरूकता अभियान और काउंसलिंग सेंटर स्थापित करने चाहिए। आत्महत्या कायरता है, साहस जिंदगी से जूझने में है। चुनौतियों का सामना करें, हार न मानें।

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