डिजिटल डेस्क। जमशेदपुर : झारखंड में डायन प्रथा के बढ़ते भयावह मामलों को गंभीरता से लेते हुए, महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज ने इस सामाजिक कुरीति के खिलाफ एक व्यापक अभियान चलाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. डी. हांसदा के नेतृत्व में एक बहु-विषयक टीम का गठन किया जा रहा है, जिसमें चिकित्सा, समाजशास्त्र, कानून, मानसिक स्वास्थ्य, प्रशासन और मीडिया जैसे विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होंगे।
अभियान की रणनीति
इस अभियान के तहत मेडिकल कॉलेज के छात्र गांव-गांव जाकर न केवल स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित करेंगे, बल्कि डायन प्रथा से जुड़े अंधविश्वासों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चुनौती देते हुए लोगों को जागरूक भी करेंगे। इसका मुख्य उद्देश्य समाज में व्याप्त इस कुप्रथा के प्रति वैज्ञानिक समझ विकसित करना और लोगों को इसके दुष्परिणामों से अवगत कराना है।
देश का पहला मेडिकल कॉलेज
प्राचार्य डॉ. हांसदा ने इस पहल को देश में अपनी तरह का पहला बताया है। उन्होंने कहा कि एमजीएम मेडिकल कॉलेज देश का पहला ऐसा संस्थान होगा जो सीधे समुदाय के बीच जाकर डायन प्रथा के खिलाफ जागरूकता फैलाएगा। यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, 2019 से 2023 के बीच झारखंड में डायन के शक में 142 महिलाओं की निर्मम हत्याएं हुई हैं, जिनमें से 30% मामले अकेले कोल्हान क्षेत्र से संबंधित हैं
एमबीबीएस पाठ्यक्रम में सामाजिक आउटरीच
डॉ. हांसदा ने यह भी बताया कि एमबीबीएस छात्रों के पाठ्यक्रम में ‘सोशल आउटरीच कार्यक्रम’ को शामिल किया गया है। इस कार्यक्रम का प्राथमिक लक्ष्य ही सामाजिक कुरीतियों और अंधविश्वासों को वैज्ञानिक तर्क और दृष्टिकोण के माध्यम से चुनौती देना है। यह पहल न केवल छात्रों को सामाजिक रूप से जिम्मेदार बनाएगी बल्कि उन्हें समुदाय की समस्याओं को समझने और उनका समाधान खोजने के लिए भी प्रेरित करेगी।
राज्य सरकार को रिपोर्ट
अभियान की प्रगति और परिणामों पर आधारित एक विस्तृत रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी जाएगी, ताकि डायन प्रथा के उन्मूलन के लिए नीतिगत स्तर पर भी आवश्यक कदम उठाए जा सकें। एमजीएम मेडिकल कॉलेज की यह पहल झारखंड में डायन प्रथा के खिलाफ लड़ाई में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है, जो वैज्ञानिक जागरूकता के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन लाने का मार्ग प्रशस्त करेगी।