मिरर मीडिया : संसद के शीतकालीन सत्र में देश के लिए बड़े कानून में बदलाव को लेकर मुहर लग गई है। जानकारी दे दें कि 3 नए क्रिमिनल विधेयक लोकसभा में पास हो गए हैं। अब इसे राज्यसभा में रखा जाएगा। वहां से पास होने के बाद इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। इसे पेश करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा- अग्रेजों के समय का राजद्रोह कानून खत्म किया गया है। नाबालिग से रेप और मॉबलिंचिंग जैसे क्राइम में फांसी की सजा दी जाएगी।।
बता दें कि अमित शाह ने लोकसभा में साफ-साफ ऐलान किया है कि मॉब लिंचिंग पर अब फांसी की सजा दी जाएगी। इतना ही नहीं आईपीसी, आपराधिक न्याय प्रणाली में बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। उन्होंने कहा कि पुराने कानून दमन के लिए बनाए गए थे। पहली बार मोदी सरकार आंतकवाद की व्याख्या करने जा रही है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति की जगह देश को रखा है और देश का नुकसान करने वाले को कभी बख्शा नहीं जाना चाहिए। राजद्रोह को देशद्रोह में बदलने का काम किया गया है।
असल में गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा कि मोदी सरकार आईपीसी में बदलाव को लेकर बड़ी ही जिम्मेदारी से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि पूर्व गृहमंत्री पी चिंदंबरम साहब कहा करते थे कि मॉब लिंचिंग को लेकर क्या कर रहे हैं। तो मैं उनको बताना चाहता हूं कि मॉब लिंचिंग पर सीधे फांसी की सजा दी जाएगी। अमित शाह ने कहा कि चिदंबरम साहब ना आप हमारी पार्टी को समझे हो ना विचारधार को समझे हो। हमारी पार्टी का एक लक्ष्य है भारक का उत्कर्ष, इसी के तहत मॉब लिचिंग में फांसी का प्रावधान लाया है। लेकिन मैं पूछना चाहता हूं कि आप 70 साल तक थे तो मॉब लिचिंग का प्रावधान क्यों नहीं लेकर आए। जनता जानती है, इसलिए संसद में उस ओर बैठो हो, और बाहर बैठे हो, ऐसे double standards के कारण उनकी पार्टी को इतनी दिक्क्तें उठानी पड़ रही हैं।
CrPC में पहले 484 धाराएं थीं, अब इसमें 531 धाराएं होंगी।
आपराधिक कानून संशोधन बिल पर लोकसभा में अपने संबोधन में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि न्याय संहिता 2023 में लिंचिंग के लिए फांसी तक का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि नए कानून गुलामी की मानसिकता से मुक्त करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि आपराधिक न्याय प्रणाली में बदलाव होने जा रहा है। बिल आपराधिक कानूनों में सुधार के लिए लाए गए हैं न्याय संहिता 2023 अमल में लाई जाएगी।
उन्होंने कहा कि CrPC में पहले 484 धाराएं थीं, अब इसमें 531 धाराएं होंगी. 177 धाराओं में बदलाव किए गए हैं और 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं। 39 नई उप-धाराएं जोड़ी गई हैं. 44 नए प्रावधान जोड़े गए हैं।