ट्रंप के टैरिफ वार पर मोदी का पलटवार: भारत नहीं झुकेगा, स्वदेशी बनेगा हथियार

KK Sagar
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ट्रंप की टैरिफ बढ़ोतरी से नया तनाव

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस महीने भारत से आने वाले सामान पर पहले से लागू 25% टैरिफ को और 25% बढ़ाकर कुल 50% शुल्क लगा दिया है। ट्रंप ने इसके पीछे भारत की रूसी तेल खरीद और व्यापार नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि भारत मित्र देश है, लेकिन उसके ऊंचे टैरिफ और सख्त व्यापारिक बाधाएं अमेरिका के लिए चुनौती बन गई हैं।
इस अप्रत्याशित फैसले के कारण दिल्ली में प्रस्तावित भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता अचानक टल गई, वहीं सितंबर-अक्टूबर तक होने वाली द्विपक्षीय व्यापार संधि (BTA) भी संकट में पड़ गई है।


मोदी का सख्त रुख : “भारत दबाव में नहीं झुकेगा”

सोमवार को अहमदाबाद में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कहा कि भारत अमेरिकी दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है।
उन्होंने कहा –
👉 “अमेरिका का टैरिफ वॉर चाहे जितना भी असर डाले, हमारी सरकार किसानों, छोटे व्यापारियों और पशुपालकों के हितों की रक्षा हर हाल में करेगी।”

मोदी ने दोहराया कि सरकार छोटे उद्यमियों और किसानों को किसी भी कीमत पर नुकसान नहीं होने देगी। उन्होंने कहा कि दुनिया में आज आर्थिक स्वार्थ से प्रेरित राजनीति चल रही है, लेकिन भारत अपने नागरिकों के हितों पर कोई समझौता नहीं करेगा।


‘स्वदेशी अपनाओ’ का आह्वान

पीएम मोदी ने इस मौके पर लोगों से ‘मेड इन इंडिया’ सामान खरीदने की अपील की।
उन्होंने कहा कि आने वाले नवरात्रि, विजयदशमी, धनतेरस और दीपावली जैसे त्योहार सिर्फ सांस्कृतिक पर्व ही नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता के पर्व भी बनें।
उन्होंने व्यापारियों से अपील की कि वे अपनी दुकानों और प्रतिष्ठानों के बाहर बड़े अक्षरों में बोर्ड लगाएं –
“मेरे यहां स्वदेशी बिकता है।”

मोदी ने कहा कि छोटे-छोटे कदम भी देश की तरक्की का आधार बन सकते हैं। “हमें गर्व होना चाहिए कि हम भारतीय वस्तुओं को बढ़ावा दे रहे हैं। यही आत्मनिर्भर भारत का मार्ग है और यही समृद्धि का रास्ता है।”


भारत के विकल्प : यूरोप और आसियान की ओर रुख

अमेरिकी दबाव का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत समानांतर रूप से ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, ईएफटीए और आसियान देशों के साथ व्यापारिक समझौतों पर काम कर रहा है।
उन्होंने भरोसा जताया कि मौजूदा तनाव के बावजूद भारत अमेरिका के साथ दीर्घकालिक रणनीतिक संबंधों को बनाए रखेगा, लेकिन देशहित सर्वोपरि रहेगा।

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