महाराष्ट्र में इस साल दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने तय समय से 15 दिन पहले दस्तक दे दी है, जिसने पूरे राज्य में हाहाकार मचा दिया है। 25 मई को सिंधुदुर्ग जिले से शुरू हुई मूसलाधार बारिश ने 26 मई तक मुंबई तक का सफर तय कर लिया, जो 1950 के बाद सबसे जल्दी मॉनसून आगमन का रिकॉर्ड है। इस बारिश ने मई महीने में सबसे अधिक बारिश का 107 साल पुराना रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, अरब सागर में बने कम दबाव के क्षेत्र के चक्रवात में बदलने की संभावना थी, लेकिन यह डिप्रेशन में तब्दील हो गया और रत्नागिरी से 40 किमी उत्तर व दापोली के दक्षिण में जमीन से टकराया। इसके परिणामस्वरूप पुणे, सातारा, सोलापुर, और अन्य जिलों में भारी बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया।
बारिश का कहर: बाढ़, जलभराव और तबाही
मॉनसून की इस अप्रत्याशित और तीव्र शुरुआत ने महाराष्ट्र के कई हिस्सों में बाढ़ जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। सड़कें नदियों में तब्दील हो गई हैं, और कई इलाकों में जलभराव के कारण यातायात ठप हो गया है। पुणे जिले में दौंड में 117 मिमी, बारामती में 104.75 मिमी, और इंदापुर में 63.25 मिमी बारिश दर्ज की गई। सातारा जिले के फलटन में 163.5 मिमी बारिश ने सड़कों को पूरी तरह जलमग्न कर दिया, जिससे फलटन-कंबलेश्वर मार्ग बंद हो गया और कई गांवों का संपर्क टूट गया। सोलापुर में 67.75 मिमी बारिश के बाद नीरा नदी के किनारे बसे गांवों के लिए बाढ़ का अलर्ट जारी किया गया है।
मुंबई, ठाणे, रायगढ़, रत्नागिरी, और सिंधुदुर्ग जैसे तटीय इलाकों में भी भारी बारिश ने कहर बरपाया है। मुंबई में रविवार रात से सोमवार सुबह तक 200 मिमी से अधिक बारिश दर्ज की गई, जिससे नरीमन पॉइंट, कोलाबा, और अन्य निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए। हार्बर लाइन की ट्रेन सेवाएं कुछ समय के लिए बंद कर दी गईं, और भूमिगत मेट्रो स्टेशनों में पानी भरने से सेवाएं स्थगित करनी पड़ीं। ठाणे, कल्याण-डोंबिवली, और पालघर में भी जलभराव और बिजली गुल होने की समस्याओं ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया।
मानवीय और पशुधन हानि
इस मूसलाधार बारिश ने महाराष्ट्र में भारी तबाही मचाई है। अब तक राज्य में बारिश से संबंधित घटनाओं में 21 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से 8 लोगों की मौत बिजली गिरने, 5 की पानी में डूबने, 4 की तेज हवाओं के कारण पेड़ गिरने, और 3 की दीवार गिरने से हुई है। एक व्यक्ति की मौत अन्य कारणों से हुई। इसके अलावा, 22 पशुओं की भी मौत दर्ज की गई है। कई लोग घायल हुए हैं, और बारिश के कारण हुए भूस्खलन और बाढ़ ने संपत्ति को भी भारी नुकसान पहुंचाया है। करीब 25 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, और पुणे-सोलापुर हाईवे पर गाड़ियां पानी में तैरती नजर आईं।
राहत और बचाव कार्य
प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई शुरू कर दी है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की 18 टीमें रायगढ़, ठाणे, सातारा, सिंधुदुर्ग, कल्याण, रत्नागिरी, सांगली, कोल्हापुर, और मुंबई में तैनात की गई हैं। पुणे जिले के बारामती में कटेवाड़ी गांव में बाढ़ में फंसे 7 लोगों को, इंदापुर में 2 लोगों को, मालशिरस के कुबवी गांव में 6 लोगों को, और पंढरपुर में भीमा नदी के किनारे फंसे 3 लोगों को सुरक्षित निकाला गया। सातारा के धेबावी गांव के पास फलटन-दहीवाड़ी सड़क पर फंसे 30 लोगों के लिए खाने-पीने और ठहरने की व्यवस्था की गई है।
रायगढ़ जिले में अचानक बाढ़ के कारण अहिल्यनगर के अकोलनेर, खड़की, वालकी, सोनेवाड़ी रोड, और शिराढोन जैसे इलाकों में हालात बेकाबू हो गए। सेना, फायर डिपार्टमेंट, और प्रशासन ने संयुक्त रूप से 39 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। कुल मिलाकर, 70-80 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्थिति का जायजा लिया और प्रशासन को 24×7 अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए। रायगढ़ में महाड से रायगढ़ किले तक की सड़क को एहतियातन बंद कर दिया गया है। मौसम विभाग ने मुंबई, ठाणे, रायगढ़, रत्नागिरी, और सिंधुदुर्ग के लिए रेड अलर्ट जारी किया है, जबकि पुणे, सातारा, सांगली, और कोल्हापुर के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
मौसम विभाग की चेतावनी
मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश की चेतावनी दी है। कोकण क्षेत्र में 50-60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने और बिजली के साथ मूसलाधार बारिश की संभावना जताई गई है। मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है। मुंबई में 26 मई को 4.75 मीटर और 4.17 मीटर ऊंची समुद्री लहरों की चेतावनी जारी की गई थी, जिसके कारण किनारी इलाकों में विशेष सतर्कता बरती जा रही है।
जनजीवन पर असर
इस अप्रत्याशित बारिश ने आम जनजीवन को पूरी तरह से प्रभावित किया है। सड़कों पर जलभराव के कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई जगहों पर स्कूल बंद कर दिए गए हैं, और रेलवे सेवाएं प्रभावित हुई हैं। सातारा के फलटन में बाढ़ ने लोगों में डर का माहौल पैदा कर दिया है, जबकि मुंबई में निचले इलाकों में रहने वाले लोग बाढ़ के खतरे से सहमे हुए हैं।