नई दिल्ली, 21 अगस्त 2025। संसद का मानसून सत्र गुरुवार को अचानक हंगामे के कारण समाप्त कर दिया गया। आखिरी दिन विपक्षी सांसदों ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर जोरदार विरोध किया। प्रश्नकाल शुरू होते ही नारेबाजी और शोरगुल से सदन का माहौल बिगड़ गया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पहले कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित की और फिर दोबारा बैठक शुरू होने पर सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित (sine die) कर दिया।
सत्र की शुरुआत और कार्यवाही
मानसून सत्र की शुरुआत 21 जुलाई 2025 को हुई थी और इसे 21 अगस्त तक चलना था। एक महीने चले इस सत्र में सरकार ने कई अहम विधेयक पेश किए और कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए। लेकिन लगभग हर दिन विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच टकराव देखने को मिला।
कुल 14 विधेयक पेश किए गए
12 विधेयक पारित हुए
3 विधेयक संसदीय समिति को भेजे गए
कौन-कौन से विधेयक हुए पास?
इस सत्र के दौरान पारित हुए विधेयकों में शामिल हैं:
- आयकर विधेयक 2025 – टैक्स ढांचे में अहम बदलाव।
- मर्चेंट शिपिंग विधेयक – समुद्री व्यापार और सुरक्षा से जुड़ा कानून।
- राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक – खेल संस्थाओं में पारदर्शिता और प्रोफेशनल प्रबंधन।
- गोवा पुनर्समायोजन विधेयक – राज्य पुनर्गठन से जुड़ा प्रावधान।
- भारतीय बंदरगाह विधेयक – बंदरगाहों की आधुनिकता और प्रबंधन सुधार।
- खनिज विकास एवं नियमन विधेयक – खनन नीति में सुधार।
- IIM संशोधन विधेयक – प्रबंधन संस्थानों में प्रशासनिक बदलाव।
इसके अलावा, ऑनलाइन खेल विनियमन विधेयक भी पास हुआ जिसने ऑनलाइन गेमिंग के लिए नए नियम तय किए।
विवादित विधेयक और विपक्ष का विरोध
तीन बड़े विधेयक विपक्षी हंगामे के कारण चर्चा के बिना संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजे गए:
संविधान का 130वाँ संशोधन विधेयक – जिसमें प्रधानमंत्री से मुख्यमंत्री तक, किसी भी जनप्रतिनिधि पर गंभीर अपराध का आरोप सिद्ध होने पर पद से हटाने का प्रावधान है।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक 2025 – प्रदेश प्रशासन और विधानसभा से संबंधित बदलाव।
संघ राज्य क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक – दिल्ली और अन्य केंद्र शासित प्रदेशों से जुड़ा।
विपक्ष का आरोप था कि सरकार इन विधेयकों पर बिना बहस दबाव बनाकर पास करना चाहती है।
सत्र की उत्पादकता: आंकड़े बताते हैं हकीकत
लोकसभा सचिवालय के अनुसार:
419 तारांकित प्रश्न सूचीबद्ध हुए, पर सिर्फ 55 का मौखिक उत्तर दिया जा सका।
120 घंटे चर्चा का लक्ष्य, लेकिन सिर्फ 37 घंटे ही चर्चा संभव हो पाई।
कई दिन शून्यकाल और प्रश्नकाल शोरगुल में बर्बाद हुए।
स्पीकर ओम बिरला ने कहा—“यह परंपरा और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है कि विपक्ष सदन को बार-बार बाधित करे।”
प्रधानमंत्री की मौजूदगी
सत्र के अंतिम दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सदन में उपस्थित रहे। लेकिन विपक्षी शोरगुल और नारेबाजी के चलते कोई गंभीर चर्चा या बहस नहीं हो पाई।
सरकार बनाम विपक्ष
विपक्ष का रुख: सरकार पर लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचलने और बिना बहस विधेयक पास करने का आरोप।
सरकार का पक्ष: विपक्ष पर विकास और जनहित से जुड़े मुद्दों को बाधित करने का आरोप।