शारदीय नवरात्र के आज दूसरे दिन में होती है माँ ब्राह्मचारिणी की पूजा : मंदिरों में गूंजे माता के जयकारे

mirrormedia
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मिरर मीडिया : नवरात्रि के दूसरे दिन में आज माँ दुर्गा के दूसरे स्वरुप माँ ब्राह्मचारिणी की पूजा, अर्चना, आराधना और उपासना की जाती है। मां दुर्गा का यह दूसरा स्वरूप उस देवी का है, जो भगवान शिव को अपने पति स्वरूप में पाने के लिए कठोर तप करती हैं। इस तप से ही उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा है। मां ब्रह्मचारिणी सरल स्वभाव की हैं, उनके दाएं हाथ में जप की माला तथा बाएं हाथ में कमंडल रहता है।

या देवी सर्वभू‍तेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां ब्रह्मचारिणी ने राजा हिमालय के घर जन्म लिया था। नारदजी की सलाह पर उन्होंने कठोर तप किया, ताकि वे भगवान शिव को पति स्वरूप में प्राप्त कर सकें। कठोर तप के कारण उनका ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी नाम पड़ा। भगवान शिव की आराधना के दौरान उन्होंने 1000 वर्ष तक केवल फल-फूल खाए तथा 100 वर्ष तक शाक खाकर जीवित रहीं। कठोर तप से उनका शरीर क्षीण हो गया। उनक तप देखकर सभी देवता, ऋषि- मुनि अत्यंत प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि आपके जैसा तप कोई नहीं कर सकता है। आपकी मनोकामना अवश्य होगा। भगवान शिव आपको पति स्वरूप में प्राप्त होंगे।

देवी मां की नौ शक्तियों में से द्वितीय शक्ति देवी ब्रह्मचारिणी का है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली अर्थात तप का आचरण करने वाली मां ब्रह्मचारिणी।शास्त्रों में मां के एक हर स्वरूप की कथा का महत्व बताया गया है। माता की पूजा अर्चना से तप, त्याग, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है।

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