पारंपरिक खेती से फूलों की खेती की ओर बढ़ते कदम, पटमदा के किसान कर रहे अच्छी आमदनी

Manju
By Manju
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जमशेदपुर : पूर्वी सिंहभूम जिला में पटमदा प्रखण्ड सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में जाना पहचाना जाता है। यहां के अधिकतर किसान टमाटर, फुलगोभी व बंधागोभी व अन्य सब्जियों की बड़े पैमाने पर खेती करते है। रबी मौसम के पूर्व भारी मात्रा में टमाटर का उत्पादन होने से जिला से बाहर रांची, कोलकाता, भुवनेश्वर आदि शहरों में भी पटमदा की सब्जियां निर्यात की जाती हैं। रबी मौसम में अधिकतर किसान टमाटर व सब्जी की खेती करते हैं, जिससे मांग के अनुरूप उत्पादन ज्यादा होने पर सब्जियों का उचित दाम नहीं मिल पाता। उन्हीं किसानों में एक राजेश गोराई, ग्राम पंचायत लावा, प्रखंड पटमदा का झुकाव पारंपरिक रूप से खेती को छोड़ फूलों की खेती की तरफ हुआ जिससे आज उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है।

किसानों को तकनीकी जानकारी तथा सिंचाई सुविधा का मिल रहा लाभ

राजेश गोराई बताते हैं कि पटमदा से जमशेदपुर की कम दूरी तथा शहर के बाजार में फूलों के अच्छी डिमांड को देखकर उनका मन इसकी खेती कर आर्थिकोपार्जन के लिए बना, जिसके बाद अब पूरी तरह फूलों की खेती में लग गये हैं। कृषि विभाग के संपर्क में आने के बाद अनुदान पर उन्हे ड्रीप इरीगेशन सिंचाई सिस्टम प्राप्त हुआ। कृषि विभाग से उनका जुड़ना खेती-बाड़ी के उनके कार्यशैली को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है। विभाग के पदाधिकारी व आत्मा संस्थान के प्रसार कर्मियों द्वारा राजेश को तकनीकी जानकारी से अवगत कराया गया। फूलों की खेती के बारे में जिला उद्यान विभाग से भी सहयोग मिला। चूंकि जमशेदपुर में फूल कोलकाता शहर से आता था इस स्थिति में जमशेदपुर के बाजार में अपना पैर जमाने में मुश्किल का सामना करना पड़ा। मौसम के बदलाव होने पर फुल का उत्पादन पर भी असर पड़ता है इस परिस्थिति में राजेष कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर व बाजार को देखते हुए निर्णय लिया कि केवल गेंदा फूल ही नहीं अन्य फूल की खेती भी किया जाए।

लीज पर जमीन लेकर कर रहे कई प्रजाति के फुलों की खेती

राजेश गोराई लीज में जमीन लेकर वृहद रूप में गेंदा के साथ-साथ रजनींगधा, गुलाब, पेरीनियल क्रिजान्थिमम आदि फुलों की खेती लगभग 1 एकड़ जमीन में कर रहें हैं। इस तरह फूल की खेती से वह हर महीना 20 से 25 हजार रूपये मुनाफा कमाते है। राजेश कहते हैं कि पिछले तीन-चार सालों से फूल की खेती कर सलाना लगभग एक से डेढ़ लाख की आमदनी हो रही है जो पारंपरिक खेती में संभव नहीं होता। राजेश गोराई के तीन बच्चे हैं, दो बेटी, एक बेटा। तीनों बच्चे पढ़ाई कर रहें है। बड़ी बेटी स्नातक में, छोटी नवीं में है। बेटा इंटर में पढ़ाई कर रहा है। राजेश का पुराना घर के अलावा पक्का मकान भी है। घर में दो-दो मोटरसाइकिल है। सब्जी की खेती करते करते फूलों की खेती का राजेश गोराई का प्रयास काफी रंग लाया है और आज अपने परिवार के साथ सुखी संपन्न जीवन जी रहे हैं।

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