सांसद विद्युत वरण महतो ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से की मुलाकात, कुरमाली के लिए अलग भाषा कोड दिए जाने समेत कई अहम मांग

Manju
By Manju
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जमशेदपुर : सांसद विद्युत वरण महतो ने आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की। मुलाकात में उन्होंने अपने झारखंड राज्य के साथ-साथ लोकसभा क्षेत्र के कई विषयों को उनके संज्ञान में दिया। सांसद महतो ने एक लिखित पत्र के माध्यम से राष्ट्रपति के समक्ष तीन महत्वपूर्ण मामले रखें। जिनमें से झारखंड में बढ़ता हुआ नक्सलवाद व उग्रवाद, जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र के दंड-क्षत्र (माझी) व माल जाति को अनुसूचित जाति की श्रेणी में शामिल करने व पुरान जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का विषय रखा। इसके साथ ही उन्होंने वर्तमान में चलने वाले जनगणना में कुरमाली के लिए अलग से भाषा कोड दिए जाने की मांग की। अपने पत्र में उन्होंने कहा कि झारखण्ड राज्य में विगत एक दो वर्षों के अंदर नक्सलवादी/उग्रवादी गतिविधियां काफी बढ़ गई है। इन लोगों के द्वारा हिंसक गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है। जिसके कारण झारखण्ड राज्य में विधि और व्यवस्था की समस्या अत्यंत गंभीर अवस्था में पहुंच गया है। बड़ी संख्या में महिलाओं व बच्चियों के साथ बलात्कार हो रहा है। इसके कारण झारखण्ड जैसे आदिवासी व पिछड़ा बहुल क्षेत्र का विकास कार्य लगभग बाधित हो गया है। इस विषय को संज्ञान में लेकर समुचित कदम उठाना चाहेंगे। वहीं जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र अन्तर्गत दंड छत्र (मांझी) व माल जाति के लोग निवास करते हैं। इनका रहन सहन व जीवन स्तर काफी दयनीय है ये लोग लंबे समय से अनुसूचित जाति श्रेणी में शामिल होने की मांग कर रहे हैं व उसकी सभी अर्हता पूरी करते हैं। उसी तरह पुरान जाति के लोग अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल होने की मांग कर रहे हैं।

उन्‍होनें राष्ट्रपति से निवेदन किया कि दंड छत्र (मांझी) व माल जाति को अनुसूचित जाति में व पुरान जाति को अनुसूचित जनजाति में श्रेणी में शामिल करने के लिए समुचित दिशा निर्देश देना चाहेंगे। वहीं सम्पूर्ण छोटनागपुर पठार अन्तर्गत झारखंंड व प0 बंगाल व ओड़िसा के अलावे असम राज्य के विभिन्न जिलों में अनुमानतः लगभग दो करोड़ से भी अधिक की जनसंख्या के साथ निवासित कुड़मी जनजाति समुदाय की स्वायत्त कबिलावाची जनजातीय मातृभाषा ‘कुड़माली‘ है। जिसे इनके सानिध्य वसोवास करने वाले अन्य समुदायों द्वारा भी बोली जाती है। मगर दुःखद स्वरूप भारत की जनगणना के भाषा सूची में कुड़माली (KUDMALI) भाषा कोड नहीं दिया गया है, जिससे जनगणना में कुड़मालि भाषा की समुचित संख्या दर्ज नहीं हो पा रही है। साथ ही एक आदिम विशिष्‍टता से परिपूर्ण भाषा और उससे संबंधित आदि विशिष्ट संस्कृति व परंपरा के विलोपित होने का खतरा मंडरा रहा है। उन्‍होनें इन सभी गंभीर व महत्वपूर्ण विषय पर त्वरित संज्ञान लेने व कुड़मियों के मातृभाषा ‘‘कुड़माली‘‘ (KUDMALI) के लिए भारत की जनगणना 2021 के भाषा सूची में जनजातीय भाषा के तौर पर स्वतंत्र रूप से ‘‘भाषा कोड‘‘ शामिल करने की मांग की। राष्ट्रपति ने सारे विषयों को गंभीरता पूर्वक सुनने के बाद सांसद महतो को आश्वस्त किया कि वह इन पर आवश्यक और सम्यक पहल करेंगे। सांसद के साथ दिल्ली के सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी, पुरुलिया के सांसद ज्योतिर्मयी सिंह महतो, गोमिया के विधायक लंबोदर महतो भी शामिल थे।

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