3 दिनों बाद मेरा पेट ख़राब हो जाएगा अतः श्रीमान मेरे आकस्मिक अवकाश के आवेदन को स्वीकृत करें!
मिरर मीडिया : बांका जिला में काटोरिया के मध्य विद्यालय जमदाहा में कार्यरत प्रखंड शिक्षक का आवेदन चर्चा का विषय बना हुआ है जिसमें अवकाश को लेकर अज़ीबोगरीब तर्क दिए गए हैं। वहीं पिपरा घोरैया का एक शिक्षक ने भी अपनी माँ के आने वाले 5 दिसंबर को स्वर्गवास हो जाने का आवेदन लिखा है। 5 दिसंबर को मेरी माँ मर जाएगी अतः अंतिम संस्कार हेतु 6 से 7 दिसम्बर तक आकस्मिक अवकाश के आवेदन को स्वीकृत करें।

दरअसल बिहार में भागलपुर के आयुक्त दयानिधि पांडेय ने एक पत्र जारी कर आदेश दिया है कि शिक्षकों को आकस्मिक अवकाश (CL) के लिए तीन दिन पूर्व सूचित कर स्वीकृति लेना अनिवार्य होगा। आपको बता दें कि मंगलवार को ही शिक्षा विभाग की बैठक में आयुक्त ने यह आदेश जारी किया था। इतना ही नहीं इसके ही आलोक में पहले तो भागलपुर और फिर बांका के DEO पवन कुमार ने ऐसा ही आदेश जारी कर दिया।

शिक्षक द्वारा दिए गए पत्र के अनुसार उन्होंने निवेदन किया है कि दिनांक 7-12-2022 से 9-12-2022 तक पेट ख़राब रहने के कारण वे विद्यालय कार्य के लिए अनुपस्थित रहेंगे। चुंकि वे 7-12-2022 को एक शादी समारोह में शामिल होंगे और भोजन का लुत्फ़ उठाने के बाद उनका पेट ख़राब होना लाज़मी है जिससे कि वे अस्वस्थ हो जाएंगे। अतः श्रीमान तीन दिन पूर्व ही आवेदन स्वीकृत करने की कृपा करें।
हालांकि इस पर शिक्षकों द्वारा नाराजगी जताई गई है आक्रोशित शिक्षक तरह तरह के तर्क दे रहें है और इस आदेश को हास्यास्पद बता रहें हैं जबकि शिक्षक संघ ने आपत्ति जताते हुए इस आदेश को तर्कविहिन बताया है और इस वापस लेने की मांग की है नहीं तो आंदोलन की भी चेतावनी दी है।
आज के बदलते परिवेश में बेहतर शिक्षा के लिए बेहतर सुविधाओं का भी होना बहुत जरुरी है। पर बदहाल शिक्षा व्यवस्था का आलम ये है कि आधुनिकता को मानकर चलने वाली शिक्षा व्यवस्था और उनसे जुड़े मंत्री और अधिकारी सुविधाएं देने में ही पिछड़ गए हैं। ऐसे में कैसे पढ़ेगा और बढेगा देश? बिहार में शिक्षा व्यवस्था और शिक्षकों को लेकर आये दिन नए नियम और आदेश पत्र के माध्यम से जारी किये जाते हैं।

हालांकि यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि शिक्षा में सुधार को लेकर शिक्षकों पर ही तमाम तरह के नकेल कसा जाता रहा है। लेकिन शिक्षकों को सुविधाओं के नाम पर ठेंगा दिखा दिया जाता है। गैर शैक्षणिक कार्य देकर शिक्षकों को शैक्षणिक कार्य से वंचित रखा जाता है। और आये दिन चुनाव कार्य से लेकर जनगणना इत्यादि में लगा दिया जाता है।
वहीं एक शिक्षक सौरव कुमार का कहना है कि शिक्षा विभाग का आकस्मिक अवकाश पर दिया गया आदेश पूर्णतः तर्कहीन है पूरे साल में शिक्षकों को 16 आकस्मिक अवकाश मिलते है जो शिक्षक विशेष परिस्थिति में लेते है अब किसी शिक्षक को कैसे पता चलेगा की वो तीन दिन बाद बीमार पड़ने वाला है या कोई आवश्यक कार्य आने वाला है। विभाग शिक्षकों को पढ़ाई बेहतर करने का संसाधन बेहतर करने और शिक्षा व्यवस्था को सुधारने का प्रयास करे ना की शिक्षकों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का।