जमुई – मणिद्वीप अकादमी में पढ़ रहे गरीब बच्चों को शिक्षा से वंचित करने का मामला पहुँचा राष्ट्रीय बाल आयोग

KK Sagar
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बिहार अभिभावक महासंघ ने न्याय की लगाई गुहार, शिक्षा विभाग व जिला प्रशासन पर उदासीनता का आरोप

बिहार के जमुई जिले स्थित मणिद्वीप अकादमी स्कूल पर शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत नामांकित गरीब बच्चों को विद्यालय में पुनः प्रवेश नहीं देने का गंभीर मामला सामने आया है। करीब 10 बच्चों को उनके प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण होने से पहले ही स्कूल से बाहर कर दिया गया, जो स्पष्ट रूप से RTE कानून का उल्लंघन है।

यह मामला अब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR), नई दिल्ली तक पहुँच चुका है। बिहार अभिभावक महासंघ ने आयोग से हस्तक्षेप की अपील करते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और बच्चों के शीघ्र पुनः प्रवेश की माँग की है।

🔎 मामला विस्तार से:

मणिद्वीप अकादमी, जमुई द्वारा शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के अंतर्गत नामांकित 10 छात्रों को गर्मी की छुट्टी के बाद स्कूल में दोबारा प्रवेश से रोक दिया गया।

बच्चों को मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया जा रहा है।

स्कूल प्रबंधन का कहना है कि विभाग द्वारा पोर्टल पर समय से नाम न चढ़ाने के कारण प्रवेश नहीं दिया जा सकता, जबकि इसकी कोई वैधानिक पुष्टि नहीं है।

इस गंभीर स्थिति में भी जिला शिक्षा पदाधिकारी, समग्र शिक्षा अभियान कार्यालय, एवं जिला प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

📜 राष्ट्रीय बाल आयोग को शिकायत : कार्रवाई की मांग और ज्ञापन:

बिहार अभिभावक महासंघ ने दिनांक 14 जुलाई 2025 को ज्ञापन सौंपते हुए जिलाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, समग्र शिक्षा अभियान के जिला पदाधिकारी, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक बिहार सरकार, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण आदि अधिकारियों से बच्चों के पुनः प्रवेश के लिए आदेश जारी करने की माँग की थी।

एक सप्ताह तक कोई कार्रवाई नहीं होने पर महासंघ ने दिनांक 26 जुलाई 2025 को राष्ट्रीय बाल आयोग (NCPCR) को विस्तृत शिकायत भेजी। इसमें यह भी बताया गया कि शिक्षा विभाग द्वारा निजी विद्यालयों को मौन संरक्षण दिया जा रहा है, जिससे गरीब और वंचित परिवारों के बच्चों को शिक्षा से वंचित किया जा रहा है।

⚖️ क्या कहता है कानून?

शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE), 2009 की धारा 16 कहती है कि किसी भी बच्चे को उसकी प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने से पहले स्कूल से बाहर नहीं किया जा सकता।
धारा 17(1) के अनुसार, किसी भी बच्चे को मानसिक या शारीरिक प्रताड़ना नहीं दी जा सकती।
साथ ही, 2011 की अनिवार्य शिक्षा नियमावली के अनुसार, बच्चों को बिना कारण शिक्षा से वंचित करना अवैध है।

🗣️ बिहार अभिभावक महासंघ की प्रमुख माँगें:

सभी वंचित बच्चों को तुरंत विद्यालय में पुनः प्रवेश दिलाया जाए।

विद्यालय प्रशासन के विरुद्ध सख्त कार्रवाई हो।

शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए।

निजी विद्यालयों को बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन करने से रोका जाए।

📨 किन्हें भेजा गया पत्र?

जिलाधिकारी, जमुई

जिला शिक्षा पदाधिकारी, जमुई

समग्र शिक्षा अभियान, जमुई

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण

बिहार बाल अधिकार संरक्षण आयोग, पटना

प्रारंभिक शिक्षा निदेशक, बिहार सरकार, पटना

❗ मुख्य आरोप:

शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन की मौन भूमिका

RTE कानून का स्पष्ट उल्लंघन

गरीब बच्चों को मानसिक और शारीरिक तौर पर प्रताड़ित किए जाने का आरोप

शिक्षा विभाग और स्कूल प्रबंधन की लापरवाही के कारण ऑनलाइन पोर्टल पर नाम नहीं लोड किया जाना

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