मिरर मीडिया : ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् शैलपुत्री देव्यै नम:’। आज प्रतिपदा यानी कि नवरात्रि का पहला दिन है। माँ दुर्गा की अनन्य शक्तियों की स्वरुप माँ शैलपुत्री की पूजा से शुरू हुआ नवरात्र। आज प्रथम दिवस हैं और आज कलशस्थापना के साथ नौ दिनों का त्यौहार शुरू हो चूका हैं। प्रथम दिवस में माँ शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती हैं। आपको बता दें कि प्रतिपदा पर भक्त मां नव दुर्गा के प्रथम स्वरुप मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना करते हैं। मां शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति को चंद्र दोष से मुक्ति मिल जाती है।
गौरतलब हैं कि इस पावन पर्व में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की विधि विधान से पूजा-अर्चना और आराधना की जाती है। नवरात्रि का हर दिन मां के नौ रूपों में से एक को समर्पित होता है। प्रत्येक नौ दिनों में नौ देवियों को 9 दिनों तक भोग लगाया जाता है।
मां शैलपुत्री की पौराणिक कथा के अनुसार बहुत समय पहले की बात है जब प्रजापति दक्ष ने एक बहुत बड़े यज्ञ का आयोजन किया। दक्ष ने इस यज्ञ में सारे देवताओं को निमंत्रित किया, लेकिन अपनी बेटी सती और पति भगवान शंकर को यज्ञ में नहीं बुलाया। सती अपने पिता द्वारा आयोजित यज्ञ में जाने के लिए बेचैन हो उठीं। इसपर भगवान शिव ने सती से कहा कि अगर प्रजापति ने हमें यज्ञ में नहीं आमंत्रित किया है तो ऐसे में वहां जाना उचित नहीं है। लेकिन इसके बाद सती की जिद को देखकर शिवजी ने उन्हें यज्ञ में जाने की स्वीकृति दे दी।
सती जब घर पहुंचीं तो उनकी बहनों ने उनपर कई तरह से कटाक्ष किए। साथ ही भगवान शंकर का भी तिरस्कार किया। दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक वचन कहे। इससे सती को काफी दुःख पहुंचा। इस अपमान से दुखी होकर सती ने हवन की कूदकर अपने प्राण दे दिए। इसपर भगवान शिव ने यज्ञ भूमि में प्रकट होकर सबकुछ सर्वनाश कर दिया। सती का अगला जन्म देवराज हिमालय के यहां हुआ। हिमालय के घर जन्म होने की वजह से उनका नाम शैलपुत्री पड़ा।