मुंबई हमले केस में नया मोड़, एनआईए को मिला “रहस्यमयी” गवाह, तहव्‍वुर का फांसी से बचना मुश्किल

Anupam Kumar
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डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: मुंबई हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की पूछताछ में एक चौंकाने वाला मोड़ सामने आया है। जांच में एक ‘रहस्यमयी गवाह’ की भूमिका उभरकर आई है, जिसे राणा का पुराना जानकार बताया जा रहा है। यही व्यक्ति वर्ष 2006 में भारत आए डेविड हेडली की अगवानी कर चुका है और उसने हेडली के ठहरने, होटल और अन्य सुविधाओं की व्यवस्था की थी।

गवाह की पहचान गुप्त, ISI और लश्कर से जान का खतरा

रिपोर्ट के अनुसार, इस गवाह की पहचान अब तक गोपनीय रखी गई है, ताकि उसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से खतरा न हो। जांच से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2006 में जब हमले की साजिश रची जा रही थी, तब हेडली को पाकिस्तान में बैठे लश्कर के आकाओं ने मुंबई के ताज होटल समेत कई स्थानों की वीडियो रिकॉर्डिंग करने का आदेश दिया था।

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दुबई में राणा की संदिग्ध मुलाकातों पर NIA की नजर

एनआईए अब तहव्वुर राणा से यह जानने की कोशिश कर रही है कि उसने दुबई में उस रहस्यमयी व्यक्ति से मुलाकात क्यों की और किसके कहने पर की। आशंका जताई जा रही है कि यह मुलाकात डेविड हेडली के निर्देश पर हुई थी। दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका में पकड़े जाने के बाद राणा ने अमेरिकी एजेंसियों के सामने इस व्यक्ति का जिक्र किया था, जिस पर एक विस्तृत रिपोर्ट भी तैयार की गई।

अमेरिकी एजेंसियों ने इंटरसेप्टेड चैट्स भारत के साथ साझा कीं

अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने एनआईए के साथ कुछ अहम बातचीतें साझा की हैं, जो इस साजिश की परतें खोलती हैं। एक इंटरसेप्टेड चैट में हेडली ने राणा को 2008 में भारत न आने की चेतावनी दी थी और संभावित आतंकी हमलों का संकेत भी दिया था। इसी बातचीत में राणा और उस रहस्यमयी शख्स की दुबई में मुलाकात की भी बात सामने आई है। एक अन्य चैट में हेडली ने बताया था कि हमले की साजिश अंतिम रूप ले चुकी है।

मुंबई ऑफिस की लीज रिन्यू न करना भी बना संदेह का कारण

एनआईए की जांच में एक और पहलू पर ध्यान गया है—राणा की इमिग्रेशन कंपनी के मुंबई ऑफिस की लीज। अगस्त 2005 में हेडली ने राणा को लश्कर की योजना के बारे में जानकारी दी थी और कहा था कि कंपनी को कवर के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। लेकिन नवंबर 2008 में हमले के समय तक ऑफिस की लीज समाप्त हो चुकी थी और उसे दोबारा रिन्यू नहीं कराया गया। यह अब जांच का अहम बिंदु बन गया है कि क्या यह जानबूझकर किया गया था ताकि हमले के बाद किसी प्रकार का सुराग न बचे।

एनआईए की जांच अब निर्णायक मोड़ पर

एनआईए की तहकीकात अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच रही है। तहव्वुर राणा से पूछताछ और अमेरिका से मिले इनपुट्स के आधार पर जल्द ही इस रहस्यमयी गवाह की भूमिका और नाम सार्वजनिक हो सकते हैं। यह गवाह 26/11 की पूरी साजिश की कड़ी जोड़ सकता है और भारत को न्याय दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

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