झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निजी सलाहकार (पीए) सुनील श्रीवास्तव और उनके करीबियों के ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापेमारी की। सूत्रों के अनुसार, इस छापेमारी में रांची और जमशेदपुर के विभिन्न ठिकानों पर कार्रवाई की गई। आयकर विभाग की टीम ने कुल 16-17 स्थानों पर छापे मारे, जिनमें श्रीवास्तव के परिवार और उनसे जुड़े लोगों के ठिकाने भी शामिल हैं। बताया गया कि शनिवार सुबह से ही विभाग की टीम ने रांची के अशोक नगर स्थित सुनील श्रीवास्तव के आवास सहित कई अन्य स्थानों पर दबिश दी।
इस रेड के बाद झारखंड के गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया पर हेमंत सरकार पर सवाल उठाया। उन्होंने पोस्ट कर कहा, “मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी, आपके नाक के बाल अधिकारी जिनके यहाँ इनकम टैक्स का छापा पड़ा, उनका दुबई कनेक्शन क्या है? उनका पार्टनर दुबई में क्यों है, और कौन सी कंपनी चलाता है जिसका आयकर रिटर्न्स में ज़िक्र नहीं है? कौन सी कंपनी उन्होंने एक साल पहले बंद की जिसमें 10 करोड़ का कैश जमा है? 20 लॉकर का मालिक कौन है?”
सुनील श्रीवास्तव: मुख्यमंत्री के करीबी और झारखंड मुक्ति मोर्चा के स्टार प्रचारक
छापेमारी के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निजी सचिव सुनील श्रीवास्तव का नाम चर्चा में आ गया। सुनील श्रीवास्तव, जो कि एक समय इंजीनियर थे, हेमंत सोरेन के बेहद करीबी माने जाते हैं और पिछले एक दशक से अधिक समय से उनके साथ जुड़े हुए हैं। वर्तमान में श्रीवास्तव झारखंड मुक्ति मोर्चा की केंद्रीय समिति के सदस्य और पार्टी के स्टार प्रचारक भी हैं। बताया जाता है कि पार्टी के बड़े नेताओं के बीच उनकी गहरी पैठ है और हेमंत सोरेन के सभी महत्वपूर्ण निर्णयों में उनकी भूमिका अहम मानी जाती है।
राजनीतिक समीकरण और विधानसभा चुनाव की तैयारी
चुनावी माहौल में इस छापेमारी ने झारखंड की राजनीति में हलचल मचा दी है। झारखंड में चुनावी बिगुल बज चुका है, और चुनाव आयोग ने 15 अक्टूबर 2024 को चुनाव की तारीखों की घोषणा की थी। राज्य में 13 और 20 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा, जबकि 23 नवंबर को वोटों की गिनती की जाएगी। ऐसे में आयकर विभाग की इस कार्रवाई को विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है, और इसका सीधा असर राजनीतिक समीकरणों पर पड़ सकता है।
झारखंड में जहां एक ओर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी सरकार की उपलब्धियों को जनता के सामने पेश कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इस मुद्दे को बड़ा राजनीतिक हथियार बना सकता है।