NASA और ISRO के संयुक्त मिशन से बना NISAR सैटेलाइट (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) अब पृथ्वी की निगरानी में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला है। यह दुनिया का पहला ऐसा सैटेलाइट है जिसमें दो रडार तकनीक—L-बैंड (NASA) और S-बैंड (ISRO)—एक साथ लगे हैं। इसका मतलब है कि NISAR दिन हो या रात, गर्मी हो या बारिश, हर मौसम में एकदम साफ तस्वीरें लेने में सक्षम होगा।
🚀 क्या है NISAR सैटेलाइट?
NISAR में लगे दो Synthetic Aperture Radar (SAR) सिस्टम अलग-अलग सतहों को स्कैन कर सकते हैं।
L-बैंड रडार: घने जंगल, झाड़ियां और बर्फीले ग्लेशियर भी इससे नहीं छुप सकते।
S-बैंड रडार: खेतों, शहरों और तटीय क्षेत्रों की हाई-रिजॉल्यूशन इमेज देता है।
👉 यह पहली बार है जब किसी एक सैटेलाइट में L और S बैंड एक साथ काम कर रहे हैं।
📡 SAR तकनीक कैसे काम करती है?
साधारण रडार केवल सिग्नल भेजते हैं और लौटने में लगे समय से दूरी का अनुमान लगाते हैं। लेकिन SAR तकनीक उससे आगे जाती है।
सैटेलाइट लगातार चलता रहता है और हर पल अलग-अलग एंगल से सिग्नल भेजता है।
कंप्यूटर इन सिग्नल्स को मिलाकर बेहद डिटेल और क्लियर इमेज तैयार करता है।
12 मीटर लंबा एंटीना, SAR प्रोसेसिंग के साथ, 19 किलोमीटर चौड़े एंटीना जितनी क्षमता देता है।
🌐 NISAR क्या-क्या देख पाएगा?
NISAR सैटेलाइट से वैज्ञानिकों को पृथ्वी के बदलते रूप की बारीकी से जानकारी मिलेगी:
✔️ ग्लेशियर कैसे पिघल रहे हैं
✔️ जमीन में कहां दरारें आ रही हैं
✔️ बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति
✔️ फसलों की हालत और उत्पादन
✔️ शहरी विकास और निर्माण
✔️ जलवायु परिवर्तन का असर
🛰️ SAR से मिलती हैं ये दो खास इमेज
- इंटरफेरोग्राम (InSAR):
एक ही जगह की अलग-अलग समय की इमेज मिलाकर
भू-स्खलन, ग्लेशियर मूवमेंट और भूकंप की निगरानी
- पोलरिमेट्री (Polarimetry):
पेड़, खेत, इमारत या पानी—हर सतह की पहचान
आपदा के बाद हुए नुकसान का आकलन
🌧️ बादल हो या अंधेरा, NISAR नहीं रुकता
SAR तकनीक बादलों के पार देख सकती है
रात में भी काम करती है
हर मौसम में एक जैसा डेटा देती है
यही इसे पर्यावरण अध्ययन, खेती और डिज़ास्टर मैनेजमेंट के लिए खास बनाती है
NASA के वरिष्ठ वैज्ञानिक चार्ल्स एलाची कहते हैं:
“SAR से हम धरती की हर हलचल को बेहद बारीकी से समझ सकते हैं।”
🔍 क्यों खास है ये सैटेलाइट?
🔸 ISRO और NASA की पहली ऐसी साझेदारी
🔸 धरती की पूरी सतह को लगातार मॉनिटर करेगा
🔸 वैज्ञानिकों को मिलेंगे अल्ट्रा-क्लियर डेटा
🔸 आपदा पूर्व चेतावनी, मौसम पूर्वानुमान और कृषि प्लानिंग में मदद