निजी स्कूलों की बेतहाशा बढ़ती फीस पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। सोमवार को विधानसभा में ‘दिल्ली विद्यालय शिक्षा (शुल्क निर्धारण एवं विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025’ पेश किया गया। इस विधेयक का उद्देश्य निजी स्कूलों की फीस नीति को नियंत्रित कर अभिभावकों को राहत देना और शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता लाना है।
शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने विधेयक को पेश करते हुए कहा, “अब शिक्षा माफिया नहीं चलेगा। यह कानून पूरी पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए लाया गया है।”
🔹 विधेयक की मुख्य बातें:
✅ फीस रेगुलेशन कमेटी अनिवार्य
हर स्कूल में एक कमेटी बनाई जाएगी जिसमें होंगे –
स्कूल के प्रधानाचार्य
3 शिक्षक
5 अभिभावक
शिक्षा निदेशालय का 1 प्रतिनिधि
👉 यह कमेटी ही फीस वृद्धि को मंजूरी देगी।

✅ 3 साल में सिर्फ एक बार फीस वृद्धि की अनुमति।
✅ फीस बढ़ाने से पहले पूरी जानकारी सार्वजनिक करना अनिवार्य।
✅ हर साल स्कूल को आय-व्यय का विवरण देना होगा।
✅ ढांचा, स्टाफ सैलरी और जरूरतों के आधार पर फीस तय होगी – मुनाफाखोरी नहीं चलेगी।
✅ अवैध फीस वसूली पर ₹1 लाख से ₹10 लाख तक का जुर्माना।
✅ छात्र को नाम काटने या अपमानित करने पर ₹50,000 का जुर्माना।
✅ बार-बार नियम तोड़ने पर स्कूल की मान्यता रद्द या सरकारी नियंत्रण में लिया जा सकता है।
✅ यदि कोई मामला कोर्ट या कमेटी में लंबित है, तो पिछले साल की फीस ही ली जा सकेगी।
🗣️ शिक्षा मंत्री का बयान
आशीष सूद ने कहा –
“पहली बार अभिभावकों को फीस प्रक्रिया में भागीदार बनाया गया है। जो सरकारें पहले आईं, उन्होंने इस समस्या को नजरअंदाज किया या शिक्षा माफियाओं से मिलीभगत की। हम इस व्यवस्था को जवाबदेह और पारदर्शी बना रहे हैं।”