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री एडमिशन और शुल्क पर नहीं चलेगी निजी स्कूलों की मनमानी डीसी ने जारी किए निर्देश, किताब- कॉपी बिक्री पर क्रेडो स्कूल को नोटिस

झारखंड सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा निजी विद्यालयों में मनमाने ढंग से की जा रही फीस वसूली और किताबों, यूनिफॉर्म आदि की अनिवार्य खरीद को लेकर गंभीर कदम उठाए जा रहे हैं। झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) अधिनियम 2017 की धारा 7(3)(1) के तहत विद्यालय स्तर पर शुल्क निर्धारण समिति की अनिवार्यता को लागू करते हुए जिला प्रशासन धनबाद ने सभी निजी विद्यालयों को निर्देश जारी किए हैं।

फीस समिति का गठन अनिवार्य

जारी आदेशों के अनुसार, प्रत्येक निजी विद्यालय को विद्यालय स्तरीय शुल्क समिति (फीस समिति) गठित करनी होगी। इस समिति में प्रबंधन द्वारा मनोनीत अध्यक्ष, सचिव, तीन शिक्षक सदस्य और माता-पिता शिक्षक संघ द्वारा नामित चार सदस्य होंगे। यह समिति ही विद्यालय की फीस संरचना तय करेगी और उसकी सूचना तीन दिनों के भीतर जिला शिक्षा पदाधिकारी को देनी होगी।

इसके अलावा यदि किसी विद्यालय द्वारा शुल्क निर्धारण समिति के गठन की प्रक्रिया पूरी नहीं की जाती है, या मनमाने ढंग से फीस बढ़ाई जाती है, तो संबंधित विद्यालय पर झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण अधिनियम की धारा 7(3)(3) एवं 7(3)(4) के तहत कार्रवाई की जाएगी, जिसमें जुर्माना, मान्यता रद्द करना अथवा अन्य दंड शामिल है।

अनिवार्य किताब/यूनिफॉर्म खरीद पर रोक

धारा 7(3)(4) के अनुसार विद्यालय परिसर का उपयोग केवल शैक्षणिक कार्यों के लिए किया जा सकता है। विद्यालय परिसर में किसी दुकान, पुस्तक विक्रेता या यूनिफॉर्म विक्रेता से अनिवार्य खरीद के लिए छात्रों/अभिभावकों को बाध्य करना गैरकानूनी है।

हाल ही में जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय को कई शिकायतें प्राप्त हुई थीं, जिसमें आरोप लगाया गया कि कुछ निजी विद्यालयों द्वारा किताबें और यूनिफॉर्म केवल विद्यालय द्वारा अनुशंसित विक्रेता से खरीदने हेतु दबाव बनाया जा रहा है।

क्रेडो वर्ल्ड स्कूल, धनबाद को कारण बताओ नोटिस

इसी क्रम में धनबाद स्थित क्रेडो वर्ल्ड स्कूल के विरुद्ध भी शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसमें विद्यालय पर किताबें और यूनिफॉर्म केवल विशेष विक्रेता से खरीदने का दबाव बनाने और किताब की दुकानों से कमीशन लेने का आरोप लगाया गया है।

जिला शिक्षा अधीक्षक ने विद्यालय को पत्रांक 1084 दिनांक 09-04-2025 के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिसमें विद्यालय से 11 अप्रैल 2025 को दोपहर 3 बजे तक लिखित रूप में स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। स्पष्ट किया गया है कि यदि समय पर संतोषजनक जवाब नहीं प्राप्त होता है, तो शिक्षा न्यायाधिकरण अधिनियम 2017 की धारा 7(3)(4) के अंतर्गत कठोर कार्रवाई की जाएगी।

अधिनियम के तहत जुर्माने की व्यवस्था
धारा 7(3)(3) के अनुसार:

  1. ₹50,000 तक के जुर्माने की सजा अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा दी जाएगी।
  2. ₹50,000 से ₹1 लाख तक के मामलों में उपायुक्त कार्रवाई करेंगे।
  3. ₹1 लाख से अधिक जुर्माने या विद्यालय की मान्यता रद्द करने के अधिकार राज्य शिक्षा न्यायाधिकरण को प्राप्त होंगे।


गौरतलब है कि झारखंड अभिभावक महासंघ द्वारा फीस बढ़ोतरी सहित अन्य मुद्दों पर लगातार आवाज उठाई जा रही थी मिरर मीडिया ने भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाते हुए अभिभावकों की आवाज़ बनी जिसके बाद अंततः अभिभावकों की जीत हुए और फीस समिति का गठन के लिए गति मिली। वहीँ जिला प्रशासन का यह कदम शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इससे अभिभावकों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ कम होगा तथा निजी विद्यालयों में जवाबदेही सुनिश्चित होगी।

KK Sagar
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